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आतंकवादी (सांकेतिक तस्वीर)( Photo Credit : Social Media)
Red Fort attack: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लाल किले पर हमले के दोषी टेररिस्ट मोहम्मद आरिफ की दया याचिका खारिज कर दी. यह हमला 22 दिसंबर 2000 को हुआ था. हमले में लाल किले के अंदर तैनात 7 राजपूताना राइफल्स यूनिट के 3 सैन्यकर्मी मारे गए थे. पाकिस्तानी टेररिस्ट मोहम्मद आरिफ (Terrorist Mohammed Arif) इस हमले का मास्टरमाइंड है. बता दें कि नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ की मौत की सजा को बरकरार रखते हुए उसकी रिव्यू पिटिशन खारिज कर दी थी. आइए जानते हैं कि कौन है आतंकवादी मोहम्मद आरिफ?
लाल किले पर अटैक का है मास्टरमाइंड
दिल्ली के लाल किले (Delhi Red Fort Attack 2000) पर हुए हमले के चार दिन बाद मोहम्मद आरिफ को अरेस्ट किया गया था. वह एक पाकिस्तानी नागरिक है और टेररिस्ट ग्रुप लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का सदस्य है. मोहम्मद आरिफ और तीन अन्य लश्कर आंतकियों ने 1999 में भारत में प्रवेश किया था. उसने श्रीनर के एक घर में लाल किले पर अटैक की प्लानिंग बनाई थी. इसके बाद तीन टेररिस्ट अबू शाद, अबू बिलाल और अबू हैदर ने लाल किले पर हमला किया था. इस आतंकी हमले से तब पूरा देश सन्न रह गया था. हालांकि सुरक्षा बलों ने बहादुरी दिखाते हुए तीनों आतंकवादियों को अलग-अलग मुठभेड़ों में मार गिराए थे.
मोहम्मद आरिफ कब हुई मौत की सजा
मोहम्मद आरिफ को अक्टूबर में सेना के जवानों पर हमले की साजिश का दोषी पाया गया था. फिर उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने सितंबर 2007 में उसकी मौत की सजा को बरकरार रखा. 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी मौत की सजा की पुष्टि की. अगस्त 2012 में मोहम्मद आरिफ की रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद उसने जनवरी 2014 में क्यूरेटिव पिटिशन दायर की.
जिस पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सितंबर 2014 के अपने फैसले में निष्कर्ष निकाला था कि जिन मामलों में हाई कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ को मौत की सजा दी गई थी, ऐसे मामलों को 3 जजों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. इसके बाद लंबी कानूनी प्रकिया चली. साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लाल किले पर हुए इस हमले को भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ खतरा बताया था. इसमें कहा गया है कि दोषी के पक्ष में कोई नरमी बरतने वाली परिस्थितियां नहीं थीं.
Source : News Nation Bureau