Delhi Ncr Pollution: राजधानी में सांस लेना हुआ मुश्किल, हवा की गुणवत्ता बेहद खराब

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण से आज भी लोगों को राहत नहीं मिलेगी क्योंकि हवा की गुणवत्ता बेहद खराब की स्तर तक पहुंच चुका है

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kunal kaushal
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Delhi  Ncr Pollution: राजधानी में सांस लेना हुआ मुश्किल, हवा की गुणवत्ता बेहद खराब

दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण से आज भी लोगों को राहत नहीं मिलेगी क्योंकि हवा की गुणवत्ता बेहद खराब की स्तर तक पहुंच चुका है. बुधवार को राजधानी में सुबह हवा में अतिसूक्ष्म कणों पीएम 2.5 का स्तर 273 और पीएम 10 का स्तर 266 दर्ज किया गया. दिल्ली में हवा की गुणवत्ता अभी भी 'खराब' है जिससे लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल होता जा रहा है. यह आंकडे दिल्ली के पॉश इलाके लोधी रोड का है जहां लोग सुबह-सुबह सैर करने के लिए निकले थे.

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सर्दी के बढ़ते ही दिल्ली में प्रदूष्ण का स्तर बढ़ने का खतरा और भी बढ़ने लगेगा. मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ‘अधिकतम तापमान 28.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो वर्ष के इस समय के दौरान सामान्य है. न्यूनतम तापमान 15.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस अधिक है.' हवा में नमी का स्तर 91 और 45 प्रतिशत के बीच दर्ज किया गया.

बीते दिनों एक अध्ययन में कहा गया था कि पिछले दो दशकों के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता 2016 में सबसे ज़्यादा घातक थी और इससे एक नागरिक की जीवन प्रत्याशा यानी कुल उम्र में 10 साल से अधिक की कमी आई है. इसमें यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय राजधानी, देश के 50 सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर रही. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत इस समय दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है. उससे ऊपर केवल नेपाल है.

इसमें कहा गया कि एशिया में जीवन प्रत्याशा की कमी सबसे ज्यादा हुई है जो भारत और चीन के अनेक हिस्सों में छह साल से ज़्यादा कम हो गई है.

एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट ऐट द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो (एपिक) द्वारा तैयार वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक और संलग्न रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में सूक्ष्म कणों के प्रदूषण से औसत जीवन प्रत्याशा 1.8 वर्ष कम हुई है जो यह मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा वैश्विक ख़तरा बन रही है.

और पढ़ें: 2016 में दिल्ली की वायु गुणवत्ता दो दशकों में सबसे घातक रही, 10 साल कम हुई ज़िंदगी: रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सूक्ष्म कणों से प्रदूषण का जीवन प्रत्याशा पर असर एक बार के धूम्रपान से पड़ने वाले असर के बराबर, एल्कोहल और मादक पदार्थ के सेवन से दोगुना, असुरक्षित पानी के इस्तेमाल का तीन गुना, एचआईवी-एड्स के पांच गुना संक्रमण और आतंकवाद या संघर्ष से 25 गुना अधिक प्रभाव के बराबर हो सकता है.’

अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि पिछले दो दशकों में भारत में सूक्ष्म कणों की सांद्रता औसतन 69 प्रतिशत बढ़ गई, जिससे एक भारतीय नागरिक की जीवन अवधि की संभावना 4.3 साल कम हुई जबकि 1996 में जीवन प्रत्याशा में 2.2 साल की कमी का अनुमान लगाया गया था.

देश के 50 सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में दिल्ली का स्थान बुलंदशहर के बाद दूसरे नंबर पर था.

बता दें कि दीवाली पर लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का धड़ल्ले से उल्लंघन किया. पटाखों के कारण राजधानी दिल्ली पर भी जेहरीले धुंए की चादर लिपटी हुई है. दिल्लीवासियों ने भी रात दस बजे के बाद खूब पटाखे जलाये और आतिशबाजी की. सुप्रीम कोर्ट के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल के लिए सख्त आदेश दिए जाने के बावजूद लोगों ने अवैध रूप से पटाखों की खरीदारी की. करीब 300 लोगों को नियमों के उल्लंघन के लिए गिरफ्तार किया गया था.

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बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के दिन रात आठ से 10 बजे तक ही पटाखे चलाने के आदेश दिए थे. हालांकि, कई लोगों ने शाम छह बजे ही पटाखे चलाने शुरू कर दिया और कई 10 बजे के बाद भी पटाखे जलाते रहे. सोशल मीडिया पर कई लोगों की मास्क लगाकर पटाखे फोड़ते हुए तस्वीर खूब वायरल हुई थी.

यहां देखिए वीडियो

Source : News Nation Bureau

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