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दिल्ली पुलिस मोटर व्हीकल एक्ट के डेढ़ लाख चालान वापस लेगी, मगर होगी ये शर्त

ये सभी चालान निर्धारित कथित गति सीमा से ज्यादा स्पीड में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-24 (अब 9) पर दौड़ने वाले वाहनों से संबंधित हैं.

Updated on: 15 Oct 2019, 03:47 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लाखों वाहन चालक दो विभागों के बीच छिड़ी नाक की बेतुकी लड़ाई में अब तक पिस रहे थे. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और दिल्ली यातायात पुलिस के बीच महीनों से चल रही धींगामुश्ती का खामियाजा दिल्ली की सड़कों पर चल रहे वाहन चालकों को भुगतना पड़ रहा था. इन दोनों महकमों के अड़ियल रवैये के चलते ही वाहन चालकों की जेब भी खूब ढीली हो रही थी. मूंछ की इस लड़ाई में वाहन चालकों के हित में और उनके कड़े विरोध के मद्देनजर अंतत: पांव दिल्ली पुलिस को ही पीछे खींचने पड़े हैं. दिल्ली यातायात पुलिस अब करीब डेढ़ लाख चालान वापस ले रही है. ये सभी चालान निर्धारित कथित गति सीमा से ज्यादा स्पीड में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-24 (अब 9) पर दौड़ने वाले वाहनों से संबंधित हैं.

दिल्ली यातायात पुलिस में उपायुक्त स्तर के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, "करीब डेढ़ लाख चालानों को दिल्ली ट्रैफिक पुलिस वापस ले रही है. ये चालान करीब ढाई महीने (अगस्त से अक्टूबर 10 तक) के भीतर काटे गए हैं. इन चालानों में ज्यादातार चालान निर्धारित गति सीमा से ज्यादा स्पीड (60 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ज्यादा) में वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग पर दौड़ाने से संबंधित हैं."दिल्ली पुलिस के ही एक अन्य अधिकारी के मुताबिक, "दरअसल, वापस लिए जाने वाले ये चालान राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 24 (अब 9) पर निजामुद्दीन पुल से गाजीपुर स्थित दिल्ली यूपी (गाजियाबाद) सीमा पर आते-जाते वाहनों के काटे गए हैं. इनमें से अधिकांश चालान ओवर-स्पीडिंग के हैं."

आखिर इन चालानों वापस लेने को मजबूर क्यों होना पड़ा? दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, "दरअसल निर्धारित गति से ऊपर यानी 60 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ऊपर जो वाहन हाईवे पर हमारे कैमरों ने पकड़े, उन सबको ई-चालान भेजे जा रहे थे. बाद में शिकायतें आनी शुरू हुईं कि हाईवे पर पीडब्ल्यूडी विभाग ने निर्धारित गति सीमा 70 किलोमीटर प्रति घंटा के साइन बोर्ड लगा रखे हैं." दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के इसी आला-अफसर के मुताबिक, "ट्रैफिक पुलिस काफी समय से पीडब्ल्यूडी से कह रही थी कि वह साइनबोर्ड बदल दे.

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मतलब अधिकतम 70 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड वाले पहले से लगे हुए साइन बोर्ड बदलकर, निर्धारित गति सीमा 60 किलोमीटर प्रति घंटा कर दे. काफी प्रयासों के बाद भी जब साइन बोर्ड नहीं बदले गए, तो जनहित में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ही करीब डेढ़ लाख चालान वापस लेने की योजना बनाई है. साथ ही दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के उन कैमरों में भी अब 70 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम गति सीमा फीड कर दी गई है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग पर आने-जाने वाले वाहनों की गति दर्ज करते हैं." दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के डीसीपी स्तर के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "जिन वाहन चालकों के ई-चालान कट चुके हैं, उन्हें ट्रैफिक पुलिस अपनी बेवसाइट से हटा लेगी."

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मगर सवाल यह उठता है कि अब तक जो लोग करोड़ों रुपये के 'ऑनलाइन' चालान की रकम दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के जरिए दिल्ली सरकार को जमा कर चुके हैं, उसकी वापसी कैसे होगी? दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के किसी भी आला-अफसर के इस सवाल का माकूल जबाब नहीं है. दूसरी ओर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा उठाए गए इस अविश्वसनीय कदम के बारे में सूत्र बताते हैं कि, "अचानक डेढ़ लाख चालान वापस लेने का फैसला दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने यूं ही नहीं लिया है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को कहीं से भनक लग चुकी थी कि यह मुद्दा कुछ वाहन चालक जनहित याचिका के रूप में उच्च न्यायालय के सामने लेकर पहुंचने की तैयारी में हैं. जैसे ही कानूनी रूप से खुद की गर्दन फंसती नजर आई, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को आनन-फानन में जनहित का ख्याल आ गया. और उसने वक्त गंवाए बिना एकदम डेढ़ लाख चालान वापस लेने का निर्णय ले लिया. अगर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की इस बे-सिर-पैर की कमाने के कथित जुगाड़ में पीडब्ल्यूडी ने भी साथ दे दिया होता, तो बेकसूर वाहन चालक न मालूम कब तक दिल्ली ट्रैफिक पुलिस का करा-धरा भरते रहते!"

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उल्लेखनीय है कि लाल बत्ती जंप करने वालों और वाहन गति सीमा कानून की धज्जियां उड़ाने वालों से निपटने के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने हाल ही में करीब 24 नए कैमरे राष्ट्रीय राजधानी में लगाए हैं. ये कैमरे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, आईएसबीटी, नेलसन मंडेला मार्ग, अगस्त क्रांति मार्ग, भलस्वा-वजीराबाद रोड, दिल्ली-नोएडा-दिल्ली फ्लाईवे, जीटी करनाल रोड पर लगाए गए हैं. दूसरी ओर आंकड़े बताते हैं कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने जबसे (2017 से) ई-चालान एप विकसित कराया है, तब से इसे 17 राज्य अमल में ला रहे हैं. एनआईसी द्वारा विकसित किए गए इस ई-चालान एप के जरिए देश में करीब दो हजार तीन सौ करोड़ रुपये का राजस्व सिर्फ यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों से ही वसूला/जमा करवाया जा चुका है.