खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के दो सदस्य गिरफ्तार, तिरंगा का किया था अपमान
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police special cell) ने खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के दो एक्टिव मेंबर को दिल्ली के जीटी करनाल रोड से गिरफ्तार किया है.
नई दिल्ली:
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police special cell) ने खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के दो एक्टिव मेंबर को दिल्ली के जीटी करनाल रोड से गिरफ्तार किया है. यह दोनों वही हैं जिन्होंने 14 अगस्त को पंजाब के मोगा जिले में डीसी ऑफिस की छत से खाली स्थानीय झंडा लहराया और तिरंगा फाड़ कर अपमान किया था. इनके खिलाफ देशद्रोह और तिरंगे के अपमान का मुकदमा दर्ज था.
पूछताछ में पता चला है कि दोनों को विदेशी हैंडलर रेडिकलाइज कर रहे थे. खालिस्तानी झंडा फहराने के लिए डॉलर्स का लालच दिया और इस काम को अंजाम देने के बाद पाकिस्तान भेजकर ट्रेनिंग भी दिलवाने वाले थे. इनको रेडिकलाइज करने और मदद पहुंचाने की गतिविधियां अमेरिका और पाकिस्तान से संचालित हो रही थी, जिसमें आईएसआई कनेक्शन भी सामने आया है.
स्पेशल सेल का कहना है कि उन्हें मुखबिर से सूचना मिली कि दोनों आरोपी दिल्ली आकर ऐसी ही देश विरोधी गतिविधि को अंजाम देने वाले हैं. इस सूचना पर सेल की टीम में जीटी करनाल रोड से दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि दोनों के हैंडलर विदेशों में बैठे हैं. इनका ISI कनेक्शन भी सामने आया है.
मोगा जिले में खालिस्तानी झंडा फहराने के बाद इनके कमांडर ने इन्हें 20000 रुपये दिल्ली जाने के लिए दिए. उसके बाद इन्हें नेपाल के रास्ते पाकिस्तान भेजने का प्लान था. वहां दोनों को ट्रेनिंग दिलवाई जानी थी.
इस खुलासे से साफ हो गया कि विदेशी ताकतें भारत के खिलाफ लगातार साजिश के तहत युवाओं को रेडिकलाइज कर रही हैं. कुछ दिन पहले दिल्ली से ISIS के आतंकी युसूफ खान की गिरफ्तारी, और अब खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के दो एक्टिव मेंबर की गिरफ्तारी की जांच में एक बात साफ हो चुकी है कि दोनों संगठनों के नाम पर आतंकी बनाने के लिए विदेशों से हैंडलर हथियार और कैश उपलब्ध करा रहे हैं.
इनकी पहचान इंद्रजीत सिंह गिल (31), निवासी डिस्टिक्ट मोगा, पीएस मेहना, पंजाब, और जसपाल सिंह (27) निवासी डिस्टिक मोगा, पंजाब के तौर पर हुई है. इनके खिलाफ मुकदमा संख्या 136 / 2020 कानून की धारा 121/121 ए/ 124 ए/ 153 ए/ IPC की धारा 153 बी और राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 के तहत देशद्रोह और तिरंगे के अपमान का मामला दर्ज है.
विस्तृत पूछताछ के दौरान पता चला है कि इंद्रजीत सिंह 10वीं कक्षा तक पढ़ा है. वह पंजाब में ड्राइवर का काम करता है. 08 अगस्त 2020 को उसके रिश्तेदार जग्गा ने एक प्रतिबंधित यूट्यूब चैनल "SIKHS for JUSTICE" सुनने के लिए कहा और व्हाट्सएप लिंक पर खालिस्तान के लिए वोट करने और इसके सदस्य बनने के लिए कहा. इंद्रजीत सिंह गिल ने चैनल को सब्सक्राइब किया और इसे देखना शुरू किया.
09 अगस्त 2020 को, उन्हें एक व्हाट्सएप लिंक मिला जहां उन्होंने खालिस्तान के लिए अपना वोट डाला. उन्होंने आगे खुलासा किया कि अमेरिका का एक व्यक्ति राणा और एक अन्य व्यक्ति "SIKHS FOR JUSTICE" चैनल पर व्याख्यान देते हैं, जो भारत विरोधी उपदेश देते हैं और साथ ही सिख युवाओं को खालिस्तान का झंडा भारत में लहराने के लिए कहते हैं.
राणा ने खालिस्तान के झंडे को लहराने के लिए 2500 और मोगा में भारतीय झंडे को फाड़ने के लिए और लाल किले और अन्य ऐतिहासिक इमारतों पर ऐसा करने के लिए 1,25,000 डॉलर का इनाम घोषित किया था.
इंद्रजीत का दोस्त और दूसरा आरोपी जसपाल सिंह भी उसके गांव से हैं. वह वहां इंटरनेट कैफे चलता है. 11 अगस्त 2020 को, इंद्रजीत सिंह गिल, जसपाल सिंह और एक तीसरे साथी आकाशदीप सिंह ने डीसी कार्यालय, मोगा में खालिस्तानी झंडा और भारतीय ध्वज फहराने की योजना बनाई.
13 अगस्त 2020 को वह जसपाल सिंह के साथ नानकशाहर गया और खालिस्तान झंडा खरीदा. उन्होंने एक काले मार्कर की मदद से "KHALISTAN" लिखा.
14 अगस्त 2020 को, सुबह के समय, वह जसपाल सिंह और एक आकाशदीप सिंह के साथ दो बाइक पर डीसी ऑफिस मोगा गए, जहां वे जसपाल सिंह के साथ छत पर गए और डीसी ऑफिस, मोगा में खालिस्तान का झंडा फहराया. इसके बाद उन्होंने भारतीय ध्वज को उतारा और उसे टुकड़ों में फाड़ दिया. उनके साथी आकाशदीप सिंह, जो सड़क पर डीसी कार्यालय के बाहर खड़े थे, पूरे प्रकरण का वीडियो ग्राफी कर रहा था. उन्होंने व्हाट्सएप पर राणा को पूरे प्रकरण से अवगत कराया और इन सभी वीडियो को उन्हें भेजा जो चैनल पर अपलोड किए गए और वायरल हुए.
कुछ दिनों के बाद उनके सहयोगी आकाशदीप को मोगा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. तब से वे दोनों भाग रहे थे और अपने संचालकों के संपर्क में थे. वे नेपाल पार कर प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान पहुंचने की योजना बना रहे थे.
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