गाजीपुर बॉर्डर पर काटी गई बिजली...हो सकता है एक्शन!
गाजीपुर बॉर्डर पर गाजीपुर कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस किसी भी समय दबिश दे सकती है. जिसके बाद किसानों में हलचल तेज हो गई है, सभी किसान एकजुट होना हुए शुरू हो गए हैं.
नई दिल्ली :
दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च के दौरान हुए हिंसा के मामले में पुलिस ने भारतीय किसान यूनियन के नौ नेताओं समेत भीड़ के खिलाफ हिंसा करने की गाजीपुर थाने में तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की है. एक एफआईआर में राकेश टिकैत, सरदार वीएम सिंह, जगतार सिंह बाजवा और तेजिंदर सिंह विर्क समेत कुल नौ नेताओं को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.
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वहीं, बताया जा रहा है कि गाजीपुर बॉर्डर पर गाजीपुर कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस किसी भी समय दबिश दे सकती है. जिसके बाद किसानों में हलचल तेज हो गई है, सभी किसान एकजुट होना हुए शुरू हो गए हैं. बता दें कि गाजीपुर थाने में दर्ज हुई एफ आई आर में नामजद हैं बाजवा. वहीं, ग़ाज़ीपुर बॉर्डर- किसान लगातार अनाउंस कर हैं कि साथी घबराएं नहीं, हमारे और किसान साथी चल चुके हैं, जल्दी ही बड़ी संख्या में यहां पहुचेंगे.
बता दें कि गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों ने कहा कि स्ट्रीट लाइट की बिजली काट दी गई है, लेकिन फिर भी हम शासन-प्रशासन पुलिस के कहने पर गाजीपुर छोड़कर नहीं जाएंगे. अगर बल प्रयोग होता है तो भी हम यही रहेंगे हम गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हैं, लेकिन आंदोलन की जमीन छोड़ने के लिए नहीं. लाल किले कांड के पीछे हम नहीं बल्कि सरकार समर्थित लोग थे. हम अपने आंदोलन को जारी रखेंगे.
गाजीपुर बॉर्डर पर हाईवे के ऊपर बनाए गए मंच से अनाउंसमेंट किया जा रहा है कि सभी लोग एकजुट हो जाएं. सभी लोग बाहर निकलकर मंच पर आएं. हालात तनावपूर्ण होते हुए नजर आ रहे हैं. किसानों के हाथ में लाठी डंडे सीधे तौर पर देखे जा रहे हैं.
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किसानों की ट्रैक्टर रैली में मंगलवार को हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा पिछले दो महीने से धरने पर बैठे है. दो जनवरी को पुलिस को किसानों की ट्रैक्टर रैली की जानकारी मिली थी. इसकी जानकारी मिलते ही हमने किसान नेताओं से पांच राउंड की बातचीत की. पुलिस ने किसानों से कहा कि 26 जनवरी के बजाए किसी और दिन ट्रैक्टर मार्च करे. किसानों के न मानने पर हमने कहा कि KMP पर ही मार्च करे. उन्हें सहयोग का आश्वासन भी दिया गया पर वो दिल्ली में ही मार्च के लिए अड़े रहे.
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