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वकीलों के हाथों पिटे पुलिस वालों का अब नहीं हो सकेगा उत्पीड़न, बचाएगा 'पुलिस-महासंघ'!

आइंदा कभी भी किसी के हाथों पिटने के बाद हवलदार-सिपाहियों को न्याय के लिए अपने ही आला-अफसरों के सामने गिड़गिड़ाना न पड़े. इसके पुख्ता इंतजाम किए जाने की शुरुआत लगभग हो चुकी है 'दिल्ली पुलिस महासंघ' बनाने की ओर बढ़ रहे कदमों की आहट-सुगबुगाहट से.

Updated on: 30 Dec 2019, 02:20 PM

highlights

हवलदार-सिपाहियों को न्याय के लिए अपने ही आला-अफसरों के सामने गिड़गिड़ाना नहीं पड़ेगा.
यह बीड़ा उठाया है दिल्ली पुलिस के ही रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) वेद भूषण ने.
इसके मद्देनजर 12 जनवरी 2020 को दिल्ली में एक बड़े समारोह का आयोजन किया गया है.

नई दिल्ली:

तीस हजारी कांड में वकीलों के हाथों पिटे दिल्ली पुलिस के हवलदार-सिपाहियों के जख्मों की टीस अभी तक बरकरार है. वकीलों ने जो दर्द जख्म दिए सो दिए, वकीलों से ज्यादा गहरे अपने महकमे के आला-अफसरों से मिले जख्म भी अभी तक जस-के-तस हैं. आइंदा कभी भी किसी के हाथों पिटने के बाद हवलदार-सिपाहियों को न्याय के लिए अपने ही आला-अफसरों के सामने गिड़गिड़ाना न पड़े. इसके पुख्ता इंतजाम किए जाने की शुरुआत लगभग हो चुकी है 'दिल्ली पुलिस महासंघ' बनाने की ओर बढ़ रहे कदमों की आहट-सुगबुगाहट से. रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) वेद भूषण के मुताबिक इस महासंघ का संरक्षक दिल्ली पुलिस के पूर्व अधिकारी रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व महानिदेशक कर्नल सिंह को बनाया गया है.

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वेदभूषण ने बनाई योजना
यह बीड़ा उठाया है दिल्ली पुलिस के ही रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) वेद भूषण ने. वेद भूषण ने जो योजना बनाई अगर वह फलीभूत हो गई, तो उम्मीद है कि दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड हवलदार-सिपाहियों के जख्मों को भी जमाने में कोई सहलाने वाला मिल जाएगा. इस महासंघ के गठन की रुपरेखा के मद्देनजर ही 12 जनवरी 2020 को एक बड़े समारोह का आयोजन किया गया है. यह समारोह उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में मौजूद राजपत्रित अधिकारी मैस (जीओज मैस) में दोपहर बारह बजे होगा.

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महासंघ में होंगे रिटायर्ड पुलिस कर्मी-अधिकारी
दिल्ली पुलिस महासंघ में सिपाही, हवलदार, सब-इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर से लेकर रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त स्तर तक के अधिकारी शामिल किए जाएंगे. हालांकि इसके अलावा भी अगर कोई उच्च पद पर रहा पुलिस अधिकारी (रिटायर्ड) दिल्ली पुलिस महासंघ में शामिल होना चाहेगा, तो उस पर कोई पाबंदी नहीं है. दिल्ली पुलिस महासंघ की नींव रख चुके रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त वेद भूषण ने रविवार रात यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि इस महासंघ के गठन के बाद दिल्ली पुलिस का कोई भी कर्मचारी मुसीबत के वक्त में खुद को अनाथ नहीं महसूस करेगा. अपनों के ही सामने अपनों के बीच में. यह सही है कि वर्दी में यूनियन नहीं बन सकती है. मगर रिटायर्ड पुलिस कर्मचारी अफसरान तो अपने नौकरीशुदा साथियों की मदद कर सकते हैं. इस पर तो कहीं कोई पाबंदी नहीं है.

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मुसीबत में फंसे पुलिसकर्मियों को मिलेगी मदद
दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेद भूषण ने इस महासंघ को लेकर उड़ रही तमाम अफवाहों को विराम देने के लिए यूट्यूब पर अपना एक काफी लंबा वीडियो भी अपलोड किया है. ताकि दिल्ली पुलिस महासंघ को लेकर बे-वजह की कहीं कोई बकवास न हो सके. दिल्ली पुलिस महासंघ के गठन को लेकर हजारों खबरें पिछले दो-तीन दिनों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी मौजूद हैं. उनका कहना है कि पुलिस महासंघ को लेकर फिलहाल मैंने भी बस इतना ही सोचा है. आगे जो होगा वह सिर्फ दिल्ली पुलिस के परेशान हाल और मुसीबत में फंसे पुलिसकर्मियों की मदद होगी. इसके सिवा कुछ नहीं. दिल्ली पुलिस महासंघ में शामिल तो सिपाही से लेकर साहब तक होंगे मगर इसे राजनीति का अखाड़ा कतई नहीं बनने दूंगा. जो भी पुलिसकर्मियों के हित की बात करेगा वही दिल्ली पुलिस महासंघ का हिस्सा होगा.

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सिर्फ दिल्ली नहीं, देश भर की पुलिस से जुड़ेगा महासंघ
वेद भूषण ने कहा, 'पुलिस खुद पर हो रही बर्बरता के खिलाफ आखिर आवाज बुलंद क्यों नहीं कर सकती? सिर्फ इसलिए न कि वर्दी में ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मी विरोध नहीं कर सकता है. कोई बात नहीं दिल्ली पुलिस महासंघ ऐसे में दीवार की मानिंद पीड़ित पुलिस के साथ खड़ा होगा. इस महासंघ में सेवा नियमावली के मुताबिक भले ही पुलिस महकमे में नौकरी करने वाला न जुड़ पाए मगर उसके परिजन, बच्चे तो जुड़ सकते हैं.' दिल्ली पुलिस महासंघ के गठन से खाकी की छवि खराब होकर खाक में मिलने की उम्मीदों को बल मिलेगा? पूछे जाने पर वेद भूषण ने कहा, 'नहीं ऐसा कतई नहीं है. दिल्ली पुलिस महासंघ दिल्ली तक ही नहीं पूरे देश की पुलिस से जुड़ेगा.'