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नर्सरी एडमिशन (फाइल फोटो)
नर्सरी एडमिशनमामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों पर रोक लगा दी है। दिल्ली सरकार को झटका देते हुए कोर्ट ने कहा है कि सरकार द्वारा जारी यह नोटिफिकेशन अभिभावकों से उनकी पसंद का स्कूल चुनने का अधिकार छीन रहा है।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने नेबरहुड पॉलिसी जारी की थी जिसके मुताबिक 1 किमी के स्कूल के दायरे में रहने वाले बच्चों के एडमिशन सबसे पहले होने थे। अगर इस क्राइटेरिए के आधार पर एडमिशन देने वाले स्कूल में सीट बचती तो फिर 3 किमी तक के दायरे में रहने वाले बच्चों को एडमिशन दिया जाना था।
इसके बाद भी अगर सीट बचती तो इसके फिर दायरे को बढ़ा कर 6 किमी के दायरे वाले बच्चों को एडमिशन देने का प्रावधान था। लेकिन सरकार के इस फैसले के खिलाफ निजी स्कूलों के संगठन ने कोर्ट में याचिका डाली थी।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि सरकार का यह आदेश अभिभावकों की पसंद मुताबिक स्कूल चुनने का अधिकार छीन रहा है।
Nursery admission case: HC stays Delhi government's notification of Jan 7. Nullifies neighbourhood criteria
— ANI (@ANI_news) February 14, 2017
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निजी स्कूलों के हक में फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर सरकार प्राइवेट स्कूलों के साथ मनमानी नहीं कर सकती है। कोर्ट ने करीब डेढ़ महीने तक इस मामले में प्राइवेट स्कूलों, अभिभावकों और राज्य सरकार की दलीलें सुनने की बात फैसला सुनाया है।
निजी स्कूलों ने दिल्ली सरकार की नर्सरी में दाखिले के लिए एलजी के नोटिफिकेशन को हाई कोर्ट मे चुनौती दी थी। दिल्ली सरकार के इस नोटिफिकेशन से राजधानी के करीब 298 निजी स्कूल प्रभावित हो रहे थे।
स्कूलों ने सरकार द्वारा स्कूलों के लिए ज़मीन देते वक्त नेबरहुड क्राइटेरिया के प्रावधान के बात से इंकार किया था। 2017-18 के लिए दिल्ली में नर्सरी एडमिशन की दौड़ 2 जनवरी से शुरु हो चुकी है। ऐसे में स्कूलों की एक्शन कमेटी का कहना था कि उनके हितों को तो नुकसान हो ही रहा है साथ ही अभिभावकों के पास भी पसंद करने का विकल्प ख़त्म हो रहा है।
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Source : News Nation Bureau