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दिल्ली-एनसीआर बना जहरीली गैस का चैंबर, जिम्मेदार उदासीन; स्थायी समिति की बैठक में नहीं पहुंचे अधिकारी

दिल्ली-एनसीआर में छाए प्रदूषण को लेकर बुलाई गई बैठक में जिम्मेदार विभागों के अधिकारी ही नहीं पहुंचे, जिस कारण बैठक को रद्द करना पड़ा. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शुक्रवार को एक बार फिर दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है.

Updated on: 15 Nov 2019, 03:23 PM

highlights

  • प्रदूषण पर आयोजित स्थायी समिति की बैठक जिम्मेदार अधिकारियों की गैरमौजूदगी में रद्द.
  • डीएमसी के कमिश्नर समेत सांसद हेमा मालिनी और गौतम गंभीर भी रहे बैठक से नदारद.
  • इस बीच दिल्ली फिर बना दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर. आसपास भी हवा खतरनाक

New Delhi:

दिल्ली-एनसीआर जहरीली गैस का चैंबर बना हुआ है. सांस लेना तक दूभर होता जा रहा है. इसके बावजूद बढ़ते प्रदूषण के प्रति अधिकारियों की गंभीरता का ऐसे लगाया जा सकता है कि दिल्ली-एनसीआर में छाए प्रदूषण को लेकर बुलाई गई बैठक में जिम्मेदार विभागों के अधिकारी ही नहीं पहुंचे, जिस कारण बैठक को रद्द करना पड़ा. जिम्मेदार अधिकारियों का यह रवैया तब रहा जब इस बैठक का आयोजन शहरी विकास से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने किया था. और तो और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकश जावेड़कर भी बयान दे रहे हैं कि प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है और इस दिशा में समग्र प्रयासों की आवश्यकता है.

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हेमा मालिनी और गौतम भी 'गंभीर' नहीं
इस बीच दिल्ली में षम-विषम योजना लागू होने के बावजूद दिल्ली-एनसीआर समेत आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर 'खतरनाक' करार दिया गया. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शुक्रवार को एक बार फिर दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. दिल्ली के साथ ही इससे सटे शहरों नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद का हाल भी बदहाल है. इसके बावजूद संसद की स्थायी समिति में इसके स्थायी सदस्य हेमा मालिनी और गौतम गंभीर भी शुक्रवार को आयोजित बैठक से नदारद रहे  जबकि गौतम गंभीर पूर्वी दिल्ली से लोकसभा सांसद भी हैं.

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नदारद रहे जिम्मेदार अधिकारी तो बैठक हुई रद्द
गौरतलब है कि शुक्रवार को शहरी विकास के लिए गठित संसद की स्थायी समिति ने प्रदूषण पर चर्चा के लिए बैठक का आयोजन किया था. इसमें शहरी विकास और आवास मंत्रालय से जुड़े मंत्रियों समेत अधिकारियों को शामिल होना था. इन अधिकारियों में दिल्ली विकास प्राधिकरण, नई दिल्ली नगर निगम, सीबीडब्ल्यूडी और एनबीसीसी समेत नगर निगम के अधिकारी खासतौर पर शामिल होने थे, लेकिन ऐन मौके दिल्ली नगर निगम के तीन आयुक्तों समेत डीडीए के उपायुक्त, पर्यावरण विभाग के सचिव और संयुक्त सचिव बैठक में नहीं पहुंचे. जाहिर है कोरम पूरा नहीं होने और जिम्मेदार विभागों का प्रतिनिधित्व नहीं होने पर बैठक को रद्द कर दिया गया. हालांकि संसद की स्थायी समिति ने अधिकारियों की गैरमौजूदगी को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ गंभीर टिप्पणी दर्ज की है.

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प्रदूषण फिर पहुंचा खतरनाक की श्रेणी में
इस बीच शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर समेत आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में फिर से पहुंच गया. राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शुक्रवार को 482 रिकार्ड किया गया, जो खतरनाक की श्रेणी में आता है. सफर के मुताबिक हवा में पीएम10 का स्तर 504 और पीएम5 का स्तर 332 रिकार्ड किया गया. सुबह से ही लोगों को स्मॉग की घनी चादर से दो-चार होने पड़ा. मॉर्निंग वॉक पर आए लोगों को हवा में घुले जहरीले कणों और गैसों ने खासा परेशान किया. इस बीच दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार के मुखिया सीएम अरविंद केजरीवाल ने पत्रकार वार्ता में कहा कि दो दिन के दौरान प्रदूषण में कमी आने के आसार हैं. ऐसे में षम-विषम योजना बढ़ाने पर फैसले सोमवार को लिया जाएगा. अगर जरूरत हुई तभी स्कीम को बढ़ाया जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट लगा चुकी हैं लताड़
गौरतलब है कि दिल्ली को गैस चैंबर में तब्दील होता देख सुप्रीम कोर्ट समेत दिल्ली हाईकोर्ट भी गंभीर रवैया अख्तियार कर संबंधित अधिकारियों और राज्य सरकारों को कड़ी चेतावनी दे चुका है. बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को सभी एजेंसियों को जमकर फटकार लगाई थी. जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी व एजे भंभानी की पीठ ने कहा कि अदालत के पूर्व के आदेशों का अनुपालन किया गया होता तो दिल्ली आज इतनी प्रदूषित नहीं होती.