दिल्ली मेट्रो में महिलाओं के मुफ्त सफर के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कदम से मेट्रो घाटे में चला जाएगा. जस्टिस अरुण मिश्रा ने दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ऐसे कदम से तो मेट्रो घाटे में चला जाएगा. कोर्ट ने सलाह दी कि सरकार को जनता के पैसे का सही इस्तेमाल करना चाहिए और ऐसी फ्री सौगात देने से बचना चाहिए.
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दिल्ली सरकार की मांग
दरअसल, दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि मेट्रो के फेज 4 के विस्तार के लिए जमीन की कीमत और टैक्स का आधा खर्च केंद्र सरकार को वहन करना चाहिए. इसी अर्जी पर विचार करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने ये टिप्पणी की.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि फ्री सौगात और घाटे का दावा एक साथ नहीं हो सकता है. आप एक ओर चाहते हैं कि ऑपेरशनल घाटे का आधा हिस्सा केंद्र सरकार वहन करे, वही दूसरी ओर आप फ्री सौगात बांट रहे हैं. अगर आप लोगों को फ्री में यात्रा कराते हैं तो ये दिक्कत ही पैदा करेगी. आप जनता के पैसों को हैंडल कर रहे हैं. आपको इसका एहसास होना चाहिए और ऐसा नहीं कि कोर्ट शक्तिहीन है या कोर्ट सरकारी फंड के सही इस्तेमाल का आदेश नहीं दे सकता है.
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जमीन खरीद का आधा खर्च केंद्र वहन करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि 104 किमी के दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण का संभावित परिचालन घाटा दिल्ली सरकार ही वहन करेगी. क्योंकि ये राष्ट्रीय राजधानी में आवागमन का साधन है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो दिल्ली मेट्रो की आर्थिक सेहत का ध्यान रखे और कोई ऐसा कदम न उठाएं, जिसके चलते घाटा हो. हालांकि, कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बड़ी राहत देते कहा कि प्रोजेक्ट के लिए जमीन खरीद का आधा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी.