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दिल्ली मेट्रो: केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का केजरीवाल को जवाब, 3000 करोड़ दें तो नहीं बढ़ेगा किराया

दिल्ली मेट्रो किराए को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने केजरीवाल सरकार से कहा है कि मेट्रो किराये में बढ़ोतरी नहीं चाहते, तो सालाना 3 हजार करोड़ रुपये दे।

Updated on: 08 Oct 2017, 10:14 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली मेट्रो किराया बढ़ाए जाने को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार आमने-सामने है। केंद्र ने साफ कर दिया है कि प्रस्तावित मेट्रो किराये में कमी नहीं की जाएगी।

मेट्रो किराए को लेकर केंद्रीय आवास और शहरी कार्यमंत्री हरदीप पुरी ने केजरीवाल सरकार से कहा है कि अगर वह मेट्रो किराये में बढ़ोतरी नहीं चाहते, तो सालाना दिल्ली मेट्रो को 3 हजार करोड़ रुपये दे।

गौरतलब है कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) अक्टूबर 10 से मेट्रो किराये में कम से कम 10 रुपये बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। जिसके विरोध में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को चिट्ठी लिखी थी।

इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली मेट्रो रेल के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वह मेट्रो किराए में प्रस्तावित वृद्धि पर आगे कदम बढ़ाते हैं तो सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।

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पुरी ने अपने जवाबी पत्र में मेट्रो प्रोजेक्ट में देरी के लिए इशारों ही इशारों में दिल्ली सरकार को घेरने की कोशिश की है। पुरी ने लिखा है कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल के सुझाव पर जांच पड़ताल की लेकिन उन्हें दिल्ली मेट्रो की ओर से बताया गया है कि मेट्रो एक्ट के सेक्शन-37 के तहत किराया कमिटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए मेट्रो प्रशासन बाध्य है।

केंद्र सरकार और मेट्रो प्रशासन भी किराया कमिटी की सिफारिशों में बदलाव नहीं कर सकता। उन्होंने केजरीवाल के इस आरोप को भी खारिज किया कि किराया कमिटी ने किराया बढ़ोतरी के लिए कम से कम एक साल का अंतर होने की बात कही थी।

पुरी ने इसके जवाब में कहा कि जिस एक साल के अंतर की बात की जा रही है, वह अगले साल के लिए है। इस साल के लिए कमिटी ने किराया बढ़ोतरी दो चरणों में करने के लिए कहा था। उसी के तहत ही अब दूसरे चरण में 10 अक्टूबर से किराया बढ़ोतरी हो रही है।

पुरी ने किराए में बढ़ोतरी को रोकने के लिए उलटा केजरीवाल को सुझाव दिया है कि अगर दिल्ली सरकार किराया कम रखने के लिए सालाना दिल्ली मेट्रो को तीन हजार करोड़ रुपये देने को तैयार है, तो नई किराया कमिटी बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि इससे मेट्रो अपने लोन और घाटे की भरपाई कर सकेगा।

पुरी ने दिल्ली सरकार को यह भी याद दिलाया है कि कायदे से मेट्रो के ऑपरेशनल घाटे की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है। उन्होंने यह भी याद दिलाया है कि दिल्ली सरकार डीटीसी को भी सालाना मदद देती है।

पुरी ने यह भी कहा है कि दिल्ली मेट्रो का तीसरा फेज 15 महीने लेट हो चुका है। फेज-4 को अभी मंजूरी ही नहीं मिली। यह कायदे से ढाई साल पीछे है।

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मेट्रो की उत्पादकता के मामले में भी पुरी ने साफ किया है कि मेट्रो ने 2017-18 से लेकर 2021-22 तक हर साल 340 करोड़ रुपये से लेकर 636 करोड़ रुपये प्रति वर्ष प्रॉपर्टी डिवेलपमेंट से कमाने का लक्ष्य रखा है। यह एक तरह से कुल राजस्व का 20 फीसदी होगा।

यह बताते हुए कि दिल्ली के लोग गुणवत्ता, कुशल, विश्वसनीय और समय पर मेट्रो सेवाओं की चाहते हैं, पुरी ने कहा कि डीएमआरसी को राष्ट्रीय राजधानी के नागरिकों के सर्वोत्तम हित में एक स्वायत्त कंपनी के रूप में कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। ताकि वह दुनिया की बेहतरीन सेवाएं प्रदान करती रहे।

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