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किसान आंदोलन: दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे का नहीं हो सका 10 महीने से निरीक्षण, आकस्मिक दुर्घटना की बनी आशंका

किसान आंदोलन: दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे का नहीं हो सका 10 महीने से निरीक्षण, आकस्मिक दुर्घटना की बनी आशंका

Updated on: 16 Sep 2021, 11:25 PM

नई दिल्ली:

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान गाजीपुर बॉर्डर (दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे) पर डेरा डाले हुए हैं। इसी बीच एनएचएआई अधिकारियों ने गाजियाबाद जिलाधिकारी को एक पत्र लिख कहा कि, किसानों ने धरने के कारण उक्त अनुरक्षण नहीं हो पा रहा है, क्योंकि धरना स्थल पर एक अंडर पास है, जिसकी लगभग 10 महीने से मरम्मत नहीं हो सकी है, जिसके कारण किसी भी समय आकस्मिक दुर्घटना होने की आशंका बनी हुई है।

दरअसल जानकारी के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी, मार्ग निर्माणकर्ता संस्था और स्वतंत्र इंजीनियरों की समिति द्वारा दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे का समय अनुसार निरीक्षण होता है। ताकि रख रखाव अच्छे से हो सके।

खासकर यह निरीक्षण बारिश के मौसम में किया जाना जरूरी होता है।

एनएचएआई के परियोजना निदेशक मुदित गर्ग द्वारा भेजे गए अपने पत्र में कुछ बिंदुओं के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें एक्सप्रेस वे के निरीक्षण के दौरान मार्ग में आर ई वाल में यदि कोई पेड़-पौधे, वनस्पति उगे होते हैं, तो उनको निकाला जाता है।

पुल के गर्डर, एक्सपेंशन जॉट में ग्रीस व आदि की जांच की जाती है, जिससे कि स्ट्रक्च र सुरक्षित रह सके।

वर्तमान में किसान धरना व पुलिस बैरिकेडिंग के कारण निरीक्षण समय से किये जाने में समस्या उपत्पन्न हो रही है, और खतरा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि 10 माह से कोई निरीक्षण नहीं हो पाया है।

दरअसल किसान कृषि कानून के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर बीते 10 महीने से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने नेशनल हाइवे पर टेंट बनाये हुए हैं, साथ ही बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है।

पत्र में आगे यह भी लिखा है कि, किसानों द्वारा किये जा रहे धरने के कारण आर ई वाल में जगह-जगह पीपल एवं वनस्पत्ति आदि के पौधे उग गये हैं, जिससे सड़क मार्ग को खतरा है। धरना स्थल एक अण्डरपास के ऊपर है, जोकि गर्डर पर निर्मित किया गया है।

वहीं पुल की स्थापना गर्डर पर की जाती है, जोकि बीयरिंग पर स्थापित होते हैं, जिनकी समय-समय पर सफाई एवं ग्रीसिंग की आवश्यक होती है।

इसके अलावा अधिकारियों ने किसानों के प्रदर्शन से हो रही अन्य समस्याओं का भी जिक्र किया है। किसानों द्वारा बिजली का इस्तेमाल करना और सड़कों पर टैंट लगाने के कारण होने वाली समस्याओं का भी जिक्र किया है।

साथ ही यह भी कहा गया है कि, किसानों द्वारा शौचालयों का निर्माण मार्ग के ऊपर किया गया है, जिसके कारण हर समय मार्ग पर जल एकत्रित रहता है, जोकि मार्ग को खराब कर रहा है।

एनएचएआई की ओर से यह भी अनुरोध किया गया है कि, सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध कराते हुए यथाशीघ्र धरना आदि को समाप्त किये जाने का कष्ट करें, जिससे किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो।

दरअसल राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि व यातायात) अधिनियम 2002 के प्रस्तर संख्या 24 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को हाईवे पर धरना, अतिक्रमण का अधिकार नहीं है एवं स्टेट सपोर्ट करार के अनुसार किसी भी व्यक्ति, संघ, संस्था आदि द्वारा अतिक्रमण किये जाने पर राज्य सरकार पुलिस बल उपलब्ध कराते हुए अतिक्रमण को हटाये जाने हेतु आवश्यक सहयोग प्रदान करेगी।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.