MCD चुनाव: मोदी लहर में बह गई केजरीवाल की 'नकारात्मक राजनीति', जानिए बीजेपी की जीत के 6 बड़े कारण
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बंपर प्रदर्शन के बाद बीजेपी ने दिल्ली एमसीडी चुनाव में भी जीत की हैट्रिक लगा दी है
नई दिल्ली:
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बंपर प्रदर्शन के बाद बीजेपी ने दिल्ली एमसीडी चुनाव में भी जीत की हैट्रिक लगा दी है। तीनों एमसीडी के 270 सीटों पर आए अभी तक के रूझान को देखें तो बीजेपी को करीब दो तिहाई बहुमत मिला है। 270 में से 184 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है।
ये जीत बीजेपी के लिए जितनी बड़ी है उतनी ही बड़ी हार दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के लिए है। जिस केजरीवाल की पार्टी को साल 2015 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने 70 में से 67 सीटों पर जीत दिलाई थी उसी पार्टी को ठीक दो साल बाद 67 वार्ड भी नहीं मिले।
बीजेपी जहां इस जीत का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को दे रही है वहीं केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ दिया है। हालांकि मुद्दों को जनता के सामने लाने की जगह ईवीएम पर सवाल उठाना आप के लिए इस बार भी नुकसानदायक ही रहा है।
एमसीडी चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को भुनाया है। एमसीडी में 10 से लागातार भ्रष्टाचार के लगते आरोप के बाद भी बीजेपी की इस बड़ी जीत के कई कारण हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी की लहर
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम का असर दिल्ली की जनता के दिल-दिमाग पर भी पड़ा है। उन्होंने एक बार फिर स्थानीय नेताओं को तरजीह ना देते हुए पीएम मोदी को देखते हुए बीजेपी के हक में वोटिंग की। दिल्ली में एक बार फिर ब्रैंड मोदी का जादू बरकरार रहा। होर्डिंग से लेकर घोषण पत्र तक में पीएम मोदी के नाम का भरपूर इस्तेमाल बीजेपी ने किया।
केजरीवाल का नकारात्कमक प्रचार
विधानसभा चुनाव हो उपचुनाव हो या फिर एमसीडी चुनाव। हर बार आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के निशाने पर पीएम नरेंद्र मोदी ही रहे। एमसीडी चुनाव में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने की जगह आम आदमी पार्टी ने इसे केजरीवाल बनाम नरेंद्र मोदी बना दिया जिसका सीधा नुकसान अरविंद केजरीवाल को हुआ। विधानसभा चुनाव में हार की कमी को ना समझना और हार के लिए ईवीएम को दोषी ठहराना भी केजरीवाल पर भारी पड़ा और इसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ। केजरीवाल का हर काम के लिए पीएम मोदी को दोषी ठहराना भी लोगों को पसंद नहीं आया जिससे दिल्ली की जनता का केजरीवाल से मोहभंग हो गया।
बीजेपी का नए उम्मीदवारों को टिकट देना
पिछले दस साल से एमसीडी पर बीजेपी का कब्जा था। इस दौरान बीजेपी के कई पार्षदों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। इन आरोपों को देखते हुए बीजेपी ने इस बार पुराने पार्षदों का टिकट काटकर नए लोगों को मैदान में उतारने का फैसला किया। बीजेपी इस फैसले से जनता के बीच ये संदेश देने में सफल रही की वो किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी। बीजेपी को इसका सकारात्मक फायदा हुआ।
पूर्वांचल के वोटों के लिए मनोज तिवारी को दिल्ली बीजेपी की कमान
मनोज तिवारी बिहार के रहने वाले है। दिल्ली में रहने वाले बिहार और यूपी के लोग कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसी को देखते हुए चुनाव से पहले बीजेपी ने पूर्वांचल के लोगों के वोट को देखते हुए मनोज तिवारी को दिल्ली की कमान सौंप दी। बीजेपी को इसका सीधा फायदा हुआ और मनोज तिवारी पूर्वांचल के लोगों के वोट को बीजेपी की तरफ शिफ्ट कराने में सफल रहे। 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के लोगों का ज्यादातर वोट आम आदमी पार्टी को मिला था।
यूपी जैसे बड़े राज्य में बीजेपी की शानदार जीत का असर
एमसीडी चुनाव से कुछ दिन पहले ही राजनीतिक तौर पर देश के सबसे अहम राज्य यूपी में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। दिल्ली से सटे उत्तराखंड में भी बीजेपी को बहुमत मिली थी। इसका असर भी एमसीडी चुनाव पर पड़ा क्योंकि दोनों राज्यों में जीत के बाद दिल्ली के लोगों का भी बीजेपी पर भरोसा बढ़ा। राजौरी गार्डन के उपचुनाव में बीजेपी को मिली जीत का असर भी एमसीडी के चुनाव में पर पड़ा।
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आम आदमी पार्टी से लोगों को मोहभंग
साल 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में ज्यादातर विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का वोट बैंक आम आदमी पार्टी की तरफ शिफ्ट हुआ था। लेकिन इस बार के प्रदर्शन से कांग्रेस के लिए थोड़ी बहुत उम्मीदें जगी है और अपने वोट बैंक को वापस लाने में उसे सफलता भी मिली है। इसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ। आम आदमी पार्टी और कांग्रेंस के बीच वोटों का बंटवारा हो गया जिससे कई सीटों पर बीजेपी को जीत मिल गई।
बीते एक साल में बीजेपी ने लगभग देश के हर हिस्से में स्थानीय निकाय चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया है चाहे वो महाराष्ट्र हो या फिर ओडिशा। इन चुनाव में बीजेपी का लगातार जन समर्थन मिल रहा है।
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