दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के हाउसिंग प्रॉजेक्ट के लिए 6 कॉलोनियों में करीब 16 हजार पेड़ों को काटे जाने के फैसले पर रोक लगा दी है। अदालत ने केंद्र सरकार से एनबीसीसी के पेड़ काटने पर सवाल पूछते हुए कहा कि क्या दिल्ली इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई के लिए तैयार है।
कोर्ट ने कहा,'अगर यह फैसला सड़क बनाने के लिए होता तो फिर भी एक बात होती। एनजीटी में मामले की सुनवाई तक इस फैसले को कार्यान्वित नहीं किया जा सकता।'
कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में नहीं होनी चाहिए।
बता दें कि साउथ दिल्ली में केंद्र सरकार के अफसरों और मंत्रियों के रहने के लिए नई कॉलोनियां बनाने के प्रोजेक्ट के तहत करीब 16 हजार से ज्यादा पेड़ों को काटे जाने की अनुमति दी गई है।
इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया है कि सरकार ने गलत तरीके से पेड़ों को काटने की अनुमति दी है।
याचिका में लिखा है, 'जहां दिल्ली एक ओर आए दिन बढ़ रहे प्रदूषण के कारण गैस चैम्बर का रूप ले रही है वहीं पेड़ों के काटने के इस फैसले से प्रदूषण में लगभग 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।'
गौरतलब है कि अब इस मामले की सुनवाई दो जुलाई को NGT में होगी।
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वहीं पेड़ों की कटाई के आदेश के लोगों का बढ़ता विरोध देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी सुर भी बदल दिए हैं।
दिल्ली बीजेपी ने इस परियोजना को मंजूरी देने के लिए आप सरकार पर आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार को बचाने की कोशिश की है।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा,' मैं एक किसान का बेटा हूं। मझे यह देखकर बेहद दुख हो रहा है कि खुद ही इस परियोजना को मंजूरी देने के बाद कैसे आम आदमी पार्टी (आप) पेड़ों की कटाई जैसे गंभीर मसले पर ओछी राजनीति कर सकती है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली बीजेपी का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मिलेगा और उनसे अनुरोध करेगा कि कम से कम पेड़ काटें जाएं।
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Source : News Nation Bureau