पी. चिदंबरम को 'सरगना' माना दिल्ली हाईकोर्ट ने, इसलिए नहीं दी अग्रिम जमानत

दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए जो सख्त टिप्पणी की है, वह बताने के लिए पर्याप्त है कि सीबीआई और ईडी के पास उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया पुख्ता सबूत हैं.

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Nihar Saxena
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पी. चिदंबरम को 'सरगना' माना दिल्ली हाईकोर्ट ने, इसलिए नहीं दी अग्रिम जमानत

सांकेतिक चित्र.

भले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम खुद को बेकसूर बताकर अपने लिए सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए जो सख्त टिप्पणी की है, वह बताने के लिए पर्याप्त है कि सीबीआई और ईडी के पास उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया पुख्ता सबूत हैं. हाईकोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका इसीलिए खारिज की है कि वह आईएनएक्स मीडिया घोटाले के वक्त खुद वित्त मंत्री थे. साथ ही अदालत ने उन्हें एक लिहाज से 'सरगना' भी माना है.

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'अनियमितताओं के समय वित्त मंत्री थे याचिकाकर्ता'
हाईकोर्ट ने पी. चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, यह कतई भूला नहीं जा सकता है कि याचिकाकर्ता उस वक्त वित्त मंत्री थे. उन्होंने ही आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशों से 305 करोड़ रुपए के विदेशी निवेश जुटाने का मार्ग प्रशस्त किया था. याचिकाकर्ता ने उस वक्त जिन अनियमितताओं को अंजाम दिया, उसके आलोक में याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती है. हाईकोर्ट ने यहां तक कह डाला कि याचिकाकर्ता चूंकि सांसद है, इसीलिए वह किसी तरह की रियायत के हकदार नहीं है. हाईकोर्ट ने इसके साथ ही पूरे मामले को संवेदनशील मानते हुए पी. चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

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'दोषियों का खुलासा होना ही चाहिए'
अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते अपने आदेश में हाईकोर्ट ने बेबाकी से टिप्पणी की थी कि दोषियों को खुलासा होना ही चाहिए. भले ही वह किसी भी हैसियत का मालिक क्यों न हो. हाईकोर्ट ने चिदंबरम के खुद वरिष्ठ वकील होने को संज्ञान में लेने से इंकार करते हुए यह भी कहा था, याचिकाकर्ता खुद न्यायिक व्यवस्था से जुड़ा हुआ है. इसके बावजूद सिर्फ इसी आधार पर उसे अग्रिम जमानत की छूट नहीं दी सकती है.

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'पहली नजर में याचिकाकर्ता ही सरगना'
और तो और, हाईकोर्ट ने पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें इस पूरे मामले का 'सरगना' तक करार दे दिया. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में चिदंबरम के वकीलों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के पक्ष के वकील भी मामले की गंभीरता को कम करके नहीं आंक सकते हैं. बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष ने अपने-अपने पक्ष में दलीलें पेश कर कई कानूनी मामलों का उदाहरण दिया है. यह अलग बात है कि अभियोजनपक्ष की ओर से उपलब्ध कराए गए तथ्य पहली नजर में याचिकाकर्ता को ही पूरे मामले का 'सरगना' करार देते हैं. यानी पूरे मामले का मुख्य षड्यंत्रकर्ता. ऐसे में जांच एजेंसियों की जांच में कानूनी अड़चनें पैदा कर रुकावट नहीं डाली जा सकती है.

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'संसद अग्रिम जमानत पर कानून में संशोधन करे'
इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी माना था कि अब तक प्रस्तुत साक्ष्यों में जो सामने आया है वह महज हिमखंड का ऊपरी हिस्सा है. उच्च पद पर सत्तासीन होते हुए बड़े आर्थिक अपराधियों को अग्रिम जमानत नहीं मिलनी चाहिए. अब समय आ गया है संसद को इस बारे में सचेत किया जाए कि वह कानून में संशोधन कर बड़े आर्थिक अपराधियों की अग्रिम जमानत का प्रावधान ही खत्म कर दे. ऐसा कदम उठाने का यही सही समय है.

HIGHLIGHTS

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर की सख्त टिप्पणी.
  • प्रथम दृष्टया कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री को 'सरगना' माना.
  • संसद से भी अग्रिम जमानत याचिका पर कानून में संशोधन करने की सिफारिश की.
Delhi High Court Pre Arrest bail Plea p. chidambaram INX Deal
      
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