दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
नई दिल्ली:
दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को नोटिस जारी किया।सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका को सीधे कॉपी पेस्ट किया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह दिल्ली उच्च न्यायालय के नियमों का उल्लंघन है। वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील ने किसी भी कॉपी पेस्ट जैसे कार्य से इनकार किया है।
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह काफी हद तक एक संयोग के रूप में लगता है और यहां तक कि टाइपोग्राफिक त्रुटियां भी समान हैं। मेहता ने कहा कि पेशेवर जनहित याचिकाकर्ता अक्सर ऐसी नियुक्तियों को चुनौती देते हुए अदालत का रुख करते हैं।
उन्होंने कहा, याचिकाकर्ता भूषण के रास्ते पर चल रहे हैं, जो एक खतरनाक रास्ता है। उनका इस नियुक्ति को चुनौती देने का कोई मतलब नहीं बनता है। नियुक्तियों को चुनौती देने के लिए इस प्रेरणा के आखिर क्या स्रोत हैं?
उच्च न्यायालय ने भूषण के हस्तक्षेप के आवेदन को स्वीकार कर लिया और मामले में नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होनी है।
भूषण ने कहा कि वह शीर्ष अदालत में लंबित अपनी याचिका पर बहस नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने सदरे आलम द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका का हवाला दिया, जिसमें अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती दी गई है और उन्होंने इसी तरह के आधार को उठाया है।
25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर दो हफ्ते के भीतर फैसला करने को कहा था।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने तब कहा था, कुछ मुद्दे हैं, एक आधार के रूप में मेरे मामले में मेरी भागीदारी के बारे में है। मैंने सीबीआई चयन में इस व्यक्ति के बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति में भाग लेते हुए अस्थाना की सीबीआई प्रमुख के रूप में नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने प्रस्तुत किया था, मुझे नहीं लगता कि यह आपके प्रभुत्व (लॉर्डशिप) को बिल्कुल भी अक्षम करता है।
भूषण ने तर्क दिया था कि उच्च न्यायालय में याचिका उनके मुवक्किल की याचिका से कॉपी-पेस्ट है। भूषण ने कहा कि हमारे यहां याचिका दायर करने के बाद इसे किसी और के माध्यम से दायर किया था।
पीठ ने भूषण को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में हस्तक्षेप करने की छूट दी थी।
1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना को सेवा से सेवानिवृत्त होने के कुछ दिन पहले ही जुलाई के अंत में दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था।
बता दें कि राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त करने के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग करने वाली एक अन्य याचिका भी वरिष्ठ अधिवक्ता एम. एल. शर्मा द्वारा दायर की गई है।
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