संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। हालांकि देश की अदालतें कलाकारों के पक्ष में नजर आ रही हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को पद्मावती के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने जिस याचिका को खारिज किया है, उसमें 'पद्मावती' की रिलीज से पहले एक पैनल का गठन करके यह सुनिश्चित करने की मांग की गई थी कि इसमें ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ तो नहीं की गई है। कोर्ट ने ऐसी याचिकाओं को निराशाजनक और गलत बताया है।
कार्यकारी चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरी शंकर की पीठ ने याचिका को निराशाजनक और गलत बताया है। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या आप लोगों ने फिल्म देखी है? इस तरह की याचिकाओं के जरिए उन लोगों को सपोर्ट मिल रहा है, जो प्रदर्शन कर रहे हैं।
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वहीं दूसरी तरफ 'पद्मावती' के खिलाफ दिल्ली में आजादपुर मेट्रो स्टेशन के बाहर लोगों के एक समूह ने विरोध प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय चेतना मंच के कार्यकर्ताओं ने भंसाली का पुतला जलाया।
देशभर में फिल्म की रिलीज का कई संगठन विरोध कर रहे हैं। संगठनों ने भंसाली पर ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है।
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने 22 नवंबर को घोषित किया कि उनकी सरकार राज्य में होने वाले चुनावों के मद्देनजर 'पद्मावती' को रिलीज करने की अनुमति नहीं देगी।
इससे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी राजपूत रानी पद्मावती के जीवन पर बनी फिल्म को राज्य में रिलीज नहीं होने देने की घोषणा कर चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिल्म के निर्देशक को राजपूत समुदाय की भावना से खिलवाड़ करने वाला बताया है, वहीं राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने फिल्म से आपत्तिजनक दृश्यों को हटाए जाने की मांग की है।
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Source : News Nation Bureau