दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने पति के खिलाफ व्यभिचार और क्रूरता का आरोप लगाते हुए महिला द्वारा दायर तलाक की याचिका में, फैमिली कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें पुरुष के होटल बुकिंग और कॉल रिकॉर्ड डिटेल मांगी गई थी।
जस्टिस रेखा पल्ली ने पति की याचिका पर पत्नी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने हालांकि, अधिकारियों को फैमिली कोर्ट द्वारा निर्देशित डिटेल को संरक्षित करने का निर्देश दिया।
अधिवक्ता प्रीति सिंह के माध्यम से व्यक्ति ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। पत्नी ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल करते हुए कहा कि उसके पति के दूसरी महिला से अवैध संबंध हैं और दोनों की एक बेटी है।
पत्नी ने आगे तर्क दिया कि होटल रिकॉर्ड और कॉल डिटेल रिकॉर्ड उसके दावे का समर्थन करने के लिए आवश्यक हैं कि वह दोनों एक होटल में रुके थे। अदालत ने पत्नी के आवेदन को मंजूर कर लिया था और होटल और कॉल डिटेल रिकॉर्ड को अपने पास रखने और उसे सीलबंद लिफाफे में अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था।
उच्च न्यायालय के समक्ष, सिंह ने पति की ओर से तर्क दिया कि फैमिली कोर्ट द्वारा आदेशित होटल की जानकारी और सीडीआर को रखना और अनुरोध करना पति के निजता के अधिकार का उल्लंघन है। वकील ने आगे कहा, सबूत इकट्ठा करना और निजी मामलों में घूमने वाली पूछताछ करना अदालत का काम नहीं था। अगर ऐसा तलब करने का आदेश नियमित हो जाता है, तो यह समाज में तबाही मचा देगा।
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Source : IANS