मीडिया द्वारा दलित शब्द के इस्तेमाल को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट का कहना है कि इस शब्द के इस्तेमाल से समाज में असमानता आती है।
न्यायमूर्ति जी रोहिणी और संगीता धीगरा सहगल की बेंच ने इस संबंध में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को नोटिस भेजा है। इस नोटिस में कोर्ट ने जानना चाहा है कि क्या इस शब्द के इस्तेमाल को रोकने के लिये किसी तरह का कानून है।
कोर्ट ने कहा है, ' याचिकाकर्ता के अनुसार ये इस शब्द का इस्तेमाल आपत्तिजनक है। ऐसे में सूचना मंत्रालय ये बताए कि क्या इस संबंध में किसी तरह का कानून है जो इस शब्द के इस्तेमाल को रोक सके।'
कोर्ट ने अगली सुनवाई 13 जनवरी, 2017 के लिये तय की है। प्रेम कुमार सिंह ने इस संबंध में याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने मांग की थी कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश दिया जाए कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दलित शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाए।
बेंच ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि अगर इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाए तो किस शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिये। सरकारी वकील ने कहा कि अभी तक इस शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाने तके संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है। बेंच ने मंत्रालय को कहा है कि वो कोर्ट को इस संबंध में जानकारी लेकर अवगत कराए।
याचिकाकर्ता ने हाल ही में कुछ खबरों में दलित शब्द के इस्तेमाल को लेकर आपत्ति थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था, 'विधायिका ने कई प्रावधान किया हैं जिसके तहत समाज के विभिन्न वर्गों और धर्मों में घृणा न पैदा हो।'
Source : News Nation Bureau