दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें यह मांग की गई थी कि मुस्लिम पुरुषों से शादी करने वाली हिंदू महिलाओं पर तीन तलाक या बहुविवाह का कानून लागू न हो।
कोर्ट ने कहा, 'धर्म कोई भी हो, महिलाओं के साथ समान व्यवहार होना चाहिए।'
कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने कहा कि तीन तलाक से संबंधित मामला सर्वोच्च न्यायालय की एक संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है। इसलिए उच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता।
गुरुवार को दायर याचिका में दावा किया गया था कि हिन्दू लड़की के मामले में जो निकाहनामा बनाया जाता है वो उर्दू में होता है इसलिए लड़की को ट्रिपल तलाक और मुस्लिम लड़के के बहुविवाह के बारे में जानकारी नहीं दी जाती है।
याचिका में मांग की गयी थी कि मैरिज के ऐसे मामले में जहां लड़की हिन्दू हैं वहां ट्रिपल तलाक और मुस्लिम पति द्वारा बहुविवाह को गलत ठहराया जाए। साथ ही शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करार दिया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता का कहना है कि ट्रिपल तलाक से पीड़ित महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सामने केवल मुस्लिम महिलाओं का मामला है। जबकि हिन्दु महिलाएं भी ट्रिपल तलाक से प्रभावित हैं।
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HIGHLIGHTS
- हिंदू महिला को तीन तलाक से अलग रखने की आग्रह वाली याचिका खारिज
- कोर्ट ने कहा, धर्म कोई भी हो, महिलाओं के साथ समान व्यवहार होना चाहिए
Source : News Nation Bureau