दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र व विधि आयोग से दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 56 को खारिज करने को लेकर प्रतिक्रिया मांगी है।
संहिता की धारा 56 महिलाओं के भुगतान नहीं कर पाने पर गिरफ्तारी पर रोक लगाती है। याचिका में संविधान की समानता के सिद्धांत के उल्लंघन की दलील दी गई है।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की खंडपीठ ने विधि व न्याय मंत्रालय व विधि आयोग को नोटिस जारी किया है और छह फरवरी तक उनकी प्रतिक्रिया मांगी है।
यह याचिका गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी में काम करने वाले अनिल कुमार ने दाखिल की है। उन्होंने न्यायालय से धारा 56 को अवैध घोषित करने की मांग की है, क्योंकि यह भारतीय संविधान की धारा 14 (कानून के समक्ष समानता) व 15 (धर्म, जाति, लिंग व जन्म स्थान पर भेदभाव को निषेध) का उल्लंघन करती है।
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील कमलेश कुमार ने पीठ से कहा कि यह धारा महिला के गलत व दिवालिया होने के बाद भी 'असमान व अनुचित संरक्षण' प्रदान करती है और यह प्रावधान का दुरुपयोग है।
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Source : IANS