दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सभी दवाओं, खाद्य पदार्थो और सौंदर्य प्रसाधनों पर क्यूआर कोड शामिल करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को नोटिस जारी किया।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ गैर-सरकारी संगठन, द कपिला एंड निर्मल हिंगोरानी फाउंडेशन और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों स्मृति सिंह और शोभन सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई कर रही थी।
अदालत ने अधिकारियों से जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त के लिए स्थगित कर दी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि दृष्टिबाधित लोग औषधीय उत्पादों की पहचान करने और सभी प्रासंगिक उत्पादों के बारे में जानकारी पाने के लिए संघर्ष करते हैं और उनकी कठिनाइयां कोविड-19 महामारी लॉकडाउन के दौरान बढ़ गई थी।
याचिका में कहा गया है कि दवाओं, भोजन, सौंदर्य प्रसाधनों और अन्य उपभोक्ता उत्पादों तक प्रभावी पहुंच की लगातार कमी अनुच्छेद 21 के तहत अधिकारों के साथ-साथ दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत उनके वैधानिक अधिकारों का खंडन करती है।
आगे कहा गया है, दवाओं, भोजन, सौंदर्य प्रसाधनों और अन्य उपभोक्ता उत्पादों तक प्रभावी पहुंच को सुरक्षित करने के लिए क्यूआर कोड को उचित तरीके से चिपकाना और आवश्यक जानकारी शामिल करना अनिवार्य और समीचीन हो गया है, ताकि एक्सेसिबिलिटी फीचर वाले स्मार्टफोन से क्यूआर कोड को स्कैन कर संग्रहीत डेटा या विशेष उत्पाद के बारे में जानकारी हासिल की जा सके और एप्लिकेशन के टेक्स्ट को स्पीच प्रारूप में बदलने के लिए डिकोड किया जा सके।
जनहित याचिका में कहा गया है : याचिका में दिए गए तरीके और फॉर्म में क्यूआर कोड को नियोजित करने से दृष्टिबाधित रोगियों के लिए दवा की त्रुटियों, गलत खुराक, अनपेक्षित दवा पारस्परिक क्रियाओं और दुष्प्रभावों को कम करके चिकित्सा देखभाल की प्रभावकारिता बढ़ेगी।
इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इन उपायों को अपनाना उन दृष्टिबाधित रोगियों के लिए आसान हो जाएगा, जो प्रत्येक दिन समय पर अपनी दवाएं लेने में सक्षम हैं।
दलील दी गई है कि महत्वपूर्ण चिकित्सा लाभों के अलावा क्यूआर कोड का उपयोग करने से कई सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ होंगे।
इसके अलावा, फार्मास्युटिकल उत्पादों पर क्यूआर कोड का उपयोग नकली और घटिया दवाओं की बढ़ती समस्या के खिलाफ लड़ाई में सहायता कर सकता है। नकली दवाएं न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं, बल्कि प्रतिष्ठित दवा कंपनियों के ब्रांड की विश्वसनीयता नष्ट कर देती हैं।
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Source : IANS