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राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर पद पर नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका दिल्ली HC से खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता सदरे आलम और एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने  इस नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को अवहेलना बताया था

Updated on: 12 Oct 2021, 12:11 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता सदरे आलम और एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने  इस नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को अवहेलना बताया था. कोर्ट में याचिकाकर्ता सदरे आलम की ओर से वकील बी एस बग्गा और वही एनजीओ सीपीआईएल की ओर से प्रशांत भूषण पेश हुए थे. दोनों की ओर से दलील दी गई थी कि ये नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह जजमेंट में पुलिस चीफ पद पर नियुक्ति के लिए जारी किये दिशानिर्देशों का उल्लंघन है.  

कोर्ट के फैसले के मुताबिक डीजीपी या पुलिस कमिश्नर पद पर नियुक्ति उन्हीं अधिकारियों की हो सकती है जिनकी सेवानिवृत्ति को 6 महीने से ज्यादा बचे हों सीबीआई निदेशक के तौर पर अस्थाना की नियुक्ति पर इसी कारण हाई पावर कमिटी ने आपत्ति जताई थी.लेकिन यहाँ रिटायरमेंट से महज चार दिन पहले उनको पुलिस कमिश्नर बना दिया गया. इसके अलावा नियुक्ति के लिए नाम संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आना चाहिए. लेकिन यहां ऐसा कोई पैनल गठित ही नहीं किया गया.
यही नहीं केंद्र ने राकेश अस्थाना को 1  साल के लिए नियुक्त किया, जबकि फैसले के मुताबिक कार्यकाल दो साल का होना चाहिए. ये भी प्रकाश सिंह जजमेंट का उल्लंघन है. 

सरकार और अस्थाना की ओर से दलील

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि ऐसी याचिकाएं निहित स्वार्थों से प्रेरित होती है. जनहित याचिका अपने आप में एक इंडस्ट्री, करियर बन चुकी हैं.  नियुक्तियों का विरोध करना एक फैशन सा बन गया है. सुप्रीम कोर्ट पहले ही कई फैसलो में साफ कर चुका है कि सर्विस मामलों में PIL लागू नहीं होती. प्रकाश सिंह जजमेंट यहाँ लागू नहीं होता है. क्योंकि वो फैसला सिर्फ राज्यों के डीजीपी की नियुक्ति के बारे में था न कि केंद्र शासित प्रदेशों में कमिश्नर की नियुक्ति को लेकर.

इसके अलावा तुषार मेहता की ओर से दलील दी गई थी कि राकेश अस्थाना को पुलिस कमिश्नर बनाने का फैसला दिल्ली की क़ानून व्यवस्था ,राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमापार से मिल रही चुनौतियों को देखते हुए जनहित में लिया गया था. वही अस्थाना की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि  ये याचिका उनके खिलाफ निहित स्वार्थो से प्रेरित है. बदले की भावना से उन्हें टारगेट किया जा रहा है.जब से उन्हें सीबीआई का विशेष निदेशक बनाया गया था, तभी से कुछ संगठन उन्हें निशाना बनाकर उनके खिलाफ याचिकाएं दायर कर रहे हैं.