दिल्ली हाई कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट में संसोधन को लेकर केंद्र सरकार से पूछा कि क्या 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ रेप के मामले में फांसी की सजा के प्रावधान किए जाने से पहले कोई रिसर्च किया गया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने कानून में बदलाव से पहले कोई स्टडी की थी कि रेप के मामले में फांसी की सजा से डर पैदा होगा।
हाई कोर्ट ने सवाल किया,' कितने अपराधी हैं जो पीड़िता को रेप के बाद छोड़ देंगे जबकि रेप और मर्डर में एक जैसी ही सजा होगी।'
दिल्ली हाई कोर्ट में कार्यकारी चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरी शंकर की बेंच ने सरकार से पूछा, 'क्या आपने कोई स्टडी या वैज्ञानिक तौर पर कोई आकलन कराया कि मौत की सजा से रेप को रोका जा सकता है। क्या आपने सोचा कि पीड़ित को क्या परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं? कितने अपराधी पीड़िता को जीवित छोड़ेंगे जब रेप और मर्डर के लिए समान दंड होगा?'
दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट में रेप लॉ में 2013 में हुए बदलाव को चुनौती देने वाली एक पुरानी याचिका लंबित है जिस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सोमवार को यह टिप्पणी की।
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कानूनी जानकारों के अनुसार यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि मर्डर में पहले से फांसी है और रेप में फांसी का प्रावधान किया गया है ऐसे में पीड़िता की जान को खतरा हो सकता है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने शनिवार को 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप और गैंगरेप मामले में पॉक्सो एक्ट में संसोधन करते हुए फांसी की सजा के प्रावधान वाले अध्यादेश को पारित किया।
रविवार को राष्ट्रपति ने भी इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
गौरतलब है कि कठुआ, उन्नाव, सूरत और देश में कई जगहों पर रेप के मामले की घटना सामने आने के बाद केंद्र सरकार से कानून को सख्त बनाने की मांग की जा रही थी।
इस अध्यादेश के तहत 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ रेप के केस में फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है।
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Source : News Nation Bureau