दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने आम आदमी पार्टी के ऊपर हमला बोलते हुए कहा कि, यदि मुख्यमंत्री केजरीवाल और सिसोदिया का दिल्ली के शिक्षा मॉडल वल्र्ड क्लास का दावा सही है तो कोविड से पूर्व राज्य सरकार पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान 1 लाख 10 हजार से अधिक छात्रों ने सरकारी स्कूलों को क्यों छोड़ दिया था? जबकि उसी दौरान प्राईवेट स्कूलों में 3 लाख 25 हजार छात्रों की वृद्धि हुई थी और दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में भी 1 लाख 75 हजार छात्रों की भारी गिरावट देखी गई।
पूर्व विधायक आदर्श शास्त्री के अनुसार, दिल्ली के प्राईवेट स्कूलों के 2 लाख 40 हजार छात्रों ने मजबूरन स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया जबकि निगम स्कूलों में भी 50,000 छात्रों ने निगम स्कूलों को चुना है।
सरकारी और निगम स्कूलों में छात्रों की बढ़ोत्तरी शिक्षा की गुणवत्ता की वजह से नहीं, बल्कि कोविड-19 महामारी में आर्थिक तंगी के कारण अभिभावकों द्वारा फीस देने की क्षमता न होने की वजह से बढ़ोत्तरी हुई है।
उन्होंने कहा कि, सरकार द्वारा दिल्लीवासियों से किए गए वायदों को पूरा नहीं करने की वजह से अधिकतर परिवार वित्तिय संकट झेल रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी द्वारा जोर देने के बाद तब जब कोविड से मौतों का तांडव हो रहा था और कई परिवारों ने अपनी रोजी रोटी तक खो दी थी, तब केजरीवाल सरकार ने वित्तीय पैकेज देने का वायदा किया था।
उन्होंने दिल्ली सरकार से सवाल पूछा कि, सीएम केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार के स्कूलों के वल्र्ड क्लास होने का दावा करते हैं, क्या निगम स्कूल वल्र्ड क्लास नहीं हैं, जिनको इतनी बड़ी संख्या में छात्रों ने चुना है?
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के मुताबिक, सरकारी स्कूलों में 45 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है, जबकि 1027 सरकारी स्कूलों में से केवल 196 स्कूलों में ही प्रिसिपल हैं।
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Source : IANS