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दिल्ली की पूर्व CM शीला दीक्षित की बेटी लतीका ने मुस्लिम युवक से रचाई थी शादी, बाद में हुई थी घरेलू हिंसा की शिकार

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का शनिवार को यहां स्थित एस्कॉटर्स अस्पताल में निधन हो गया.

Updated on: 22 Jul 2019, 10:33 AM

नई दिल्ली:

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का शनिवार को यहां स्थित एस्कॉटर्स अस्पताल में निधन हो गया. शीला 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता जितेंद्र कुमार कोचर ने बताया, '81 वर्षीय शीला दीक्षित का एस्कॉटर्स अस्पताल में निधन हो गया.' तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला कुछ समय से बीमार चल रहीं थीं. शीला दीक्षित के निधन से उनके परिवार के साथ ही राजनितिक दुनिया में भी शोक की लहर दौड़ पड़ी है. 

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पूर्व सीएम दीक्षित केदो बच्चे हैं, बेटी लतिका सईद और बेटे संदीप दीक्षित जो पूर्व सांसद भी हैं. उनकी बेटी लतिका ने एक मुस्लिम युवक से शादी की थी लेकिन ये साथ पूरे जीवन तक नहीं रह सका और 20 साल बाद दोनों अलग हो गए. लतीका इस शादी में घरेलू हिंसा की शिकार हो गई थी, जिसके बाद उनके पति सईद मोहम्मद इमरान  घरेलू हिंसा ऐक्ट के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था.

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लतिका ने पति के खिलाफ थाने में शिकाय दर्ज करवाई थी. जिसमें उन्होंने बताया था, ' उनकी मां शीला दीक्षित जब 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव हार गई, उसके बाद इमरान का व्यवहार अचानक बदल गया. उनकी खुशहाल शादीशुदा जिंदगी अचानक दर्दनाक हो गई. इमरान उनके साथ हिंसात्मक व्यवहार करने लगे, उन्हें काफी टॉर्चर भी सहना पड़ा. इसके साथ ही लतीका ने बताया कि उनके पति ने एक बार उनकी जान लेने की भी कोशिश की. लतीका की शिकायत के बाद इमरान के खिलाफ पुलिस ने घरेलू हिंसा, जायदाद हड़पने की कोशिश, चोरी और एडल्टरी का केस दर्ज किया.

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा थीं. शीला दीक्षित ने अपनी कामों की वजह से कांग्रेस में पैठ बनाने में सफल रहीं. शीला दीक्षित ने सोनिया गांधी के सामने भी अपनी अच्छी छवि बनाए रखी. उनको कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के सबसे नदजीकी नेताओं में से एक माना जाता है. इसी कारण उनको सोनिया गांधी ने भी खासा महत्व देते रहीं. शीला दीक्षित कुशल राजनेता थीं और उन्हें कांग्रेस की कुशल रणनीतिकारों में से एक माना जाता था. उनको प्रशासनिक के अलावा संसदीय कार्यों का भी अच्छा अनुभव था.