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Nirbhaya Case: जज ने निर्भया के दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाई

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप के बाद बेरहमी से की गई हत्या के दोषियों की फांसी की सजा पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है.

Updated on: 02 Mar 2020, 11:14 PM

नई दिल्‍ली:

निर्भया के गुनहगारों (Nirbhaya Convicts) के को मौत की सजा से लगभग 12:30 घंटे पहले उनकी फांसी पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court)ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि निर्भया के दोषियों को अगले आदेश तक फांसी नहीं दी जा सकती है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप के बाद बेरहमी से की गई हत्या के दोषियों की फांसी की सजा पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. अदालत ने 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मृत्युदंड पाए चारों दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. यह रोक तब तक रहेगी जबतक कि दोषियों की दया याचिका पर फैसला नहीं हो जाता.

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चारों दोषियों को मंगलवार सुबह छह बजे एक साथ फांसी दी जानी थी. दोषियों के मृत्यु वारंट पर अमल कानूनी प्रक्रियाओं के चलते अब तक तीन बार टाला जा चुका है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका के निस्तारण तक मौत की सजा नहीं दी जा सकती. न्यायाधीश ने कहा, पीड़ित पक्ष की तरफ से कड़े प्रतिरोध के बावजूद, मेरा विचार है कि किसी भी दोषी के मन में अपने रचयिता से मिलते समय ये शिकायत नहीं होनी चाहिए कि देश की अदालत ने उसे कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने की इजाजत देने में निष्पक्ष रूप से काम नहीं किया. 

न्यायाधीश ने कहा, चर्चा के समग्र प्रभाव के मद्देनजर, मेरी राय है कि दोषी की दया याचिका के निस्तारण तक मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता. इसलिये यहां यह आदेश दिया जाता है कि तीन मार्च को सुबह छह बजे निर्धारित सभी दोषियों के मृत्यु वारंट पर तामील अगले आदेश तक रोकी जाती है.

अदालत ने यह आदेश पवन की याचिका पर दिया जिसमें सोमवार को उसने राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका लंबित होने का हवाला देते हुए सजा पर रोक लगाने का अनुरोध किया था. न्यायाधीश ने सुधारात्मक और दया अर्जियां दायर करने में इतनी देरी करने के लिए दोषी के वकील की खिंचाई की. पवन की सुधारात्मक याचिका इससे पहले दिन में उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दी थी. अदालत ने इससे पहले दिन में पवन और अक्षय कुमार सिंह की उन अर्जियों को खारिज कर दिया जिसमें दोनों ने अपने मृत्यु वारंटों पर रोक लगाने का अनुरोध किया था. यद्यपि पवन के वकील ए पी सिंह ने कहा कि उन्होंने एक दया अर्जी दायर की है और फांसी की तामील पर रोक लगनी चाहिए.

अदालत ने उसके बाद उनसे कहा कि वह अपने मामले की जिरह के लिए दोपहर भोजनावकाश के बाद आएं. तीसरी बार जारी हुआ था डेथ वारंट भोजनावकाश के बाद की सुनवायी के दौरान अदालत ने सिंह की यह कहते हुए खिंचाई की, आप आग से खेल रहे हैं, आपको सतर्क रहना चाहिए. किसी के द्वारा एक गलत कदम, और आपको परिणाम पता हैं. सुनवायी के दौरान तिहाड़ जेल प्राधिकारियों ने कहा कि दया याचिका दायर होने के बाद गेंद अब सरकार के पाले में है और न्यायाधीश की फिलहाल कोई भूमिका नहीं है. 

प्राधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति जेल प्रशासन से पवन की दया याचिका पर एक स्थिति रिपोर्ट मांगेंगे और जब वह होगा, उससे फांसी की तामील पर स्वत: ही रोक लग जाएगी. अदालत ने 17 फरवरी को चारों दोषियों - मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) - के खिलाफ नया मृत्यु वारंट जारी करते हुए तीन मार्च को फांसी देने का आदेश दिया था और कहा था कि सजा को और टालना पीड़िता के त्वरित न्याय के अधिकार को दूषित करने जैसा होगा. अदालत ने चारों दोषियों को तीन मार्च को सुबह छह बजे फांसी की सजा देने का आदेश दिया था. यह तीसरा मौका था जब अदालत ने इन दोषियों के खिलाफ मृत्यु वारंट जारी किया था.

हाईकोर्ट के 7 दिन की समयसीमा का पालन नहीं - जज

सुनवाई करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट के जज ने कहा, आपने हाई कोर्ट द्वारा 7 दिन की समयसीमा का पालन नहीं किया. आप दोषी के वकील होने के नाते ऐसा कर सकते हैं, लेकिन किन प्रावधानों के तहत मैं बतौर ट्रायल कोर्ट जज इस समयसीमा को इग्नोर कर सकता हूं. मैं हाई कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा से बंधा हूं. जज (दोषी के वकील से)- क्‍या आप समझाएंगे कि किस लिहाज से अब कोर्ट के दखल देने का औचित्य बनता है? आपने तय समयसीमा के अंदर दया याचिका दायर नहीं की. जेल रूल से साफ है कि राष्ट्रपति के सामने पेंडिंग रहने की सूरत में कोर्ट दखल नहीं दे सकता. कोर्ट का रोल खारिज होने के बाद आता है. अब आपको राहत सरकार से मिल सकती है, कोर्ट के दखल का अब औचित्य नहीं.