केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 34 लाख से अधिक छात्रों पर किए गए सर्वेक्षण के मुाबिक देशभर के स्कूलों में पढ़ने वाले 87 प्रतिशत छात्र स्कूल में पढ़ाए गए कोर्स को अपने परिवार के साथ साझा करते हैं। हालांकि इनमें से करीब 25 परसेंट छात्रों को पढ़ाई को लेकर अभिभावकों या परिवार के किसी अन्य सदस्य की मदद नहीं मिलती। देश भर में केवल 3 प्रतिशत छात्र ही ऐसे हैं जो कार से स्कूल जाते हैं।
देश भर के 48 फीसदी छात्र पैदल ही स्कूल पहुंचते हैं और नौ प्रतिशत छात्र ही ऐसे हैं जो स्कूल जाने के लिए स्कूल के वाहनों का उपयोग करते हैं। अन्य 9 प्रतिशत छात्र स्कूल जाने के लिए सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करते हैं। 18 प्रतिशत छात्र साइकिल से, 8 प्रतिशत छात्र अपने दोपहिया वाहनों और सबसे कम 3 प्रतिशत छात्र अपनी कार से स्कूल जाते हैं।
शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस), 2021 जारी किया है। इसी सर्वेक्षण के अंतर्गत यह जानकारी उपलब्ध कराई गई है। यह सर्वेक्षण हर तीन साल में तीसरी, पांचवी, आठवीं और दसवीं के छात्रों की सीखने की क्षमता का समग्र विश्लेषण कर देश में स्कूली शिक्षा तंत्र के स्वास्थ्य को जांचता है। यह स्कूली शिक्षा तंत्र के समग्र विश्लेषण को प्रदर्शित करता है। पिछला सर्वेक्षण 2017 में हुआ था।
एनएएस 2021 में शहरी और ग्रामीण इलाकों में स्थित 720 जिलों के 1.18 लाख स्कूलों के 34 लाख छात्रों ने हिस्सा लिया है। इस राष्ट्रीय रिपोर्ट कार्ड को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जारी किया है। इससे परिणाम के विश्लेषण और संबंधित स्तर पर उपचारात्मक कोशिशों को बल मिलेगा।
एनएएस 2021, को अखिल भारतीय स्तर पर किया गया था, इसमें सरकारी स्कूल, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल और निजी स्कूल शामिल हुए थे। कक्षा तीसरी और पांचवी के लिए भाषा, गणित और पर्यावरण विषयों, कक्षा आठवीं के लिए भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान, कक्षा दसवीं के लिए भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और अंग्रेजी विषयों को इस सर्वेक्षण में शामिल किया गया था।
शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस)-2021 के मुताबिक 44 फीसदी शिक्षकों के पास पर्याप्त कार्य स्थान का अभाव है, जबकि 65 प्रतिशत पर काम का बोझ है। सर्वेक्षण के मुताबिक 58 फीसदी शिक्षकों ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा में भाग लिया है।
एनएएस 2021 में 97 प्रतिशत शिक्षकों ने अपने कार्य को लेकर संतोष व्यक्त किया है। 44 प्रतिशत शिक्षकों के पास कार्यस्थल का अभाव है और 65 प्रतिशत शिक्षकों पर काम का बोझ है।
एनसीईआरटी द्वारा उपलब्धि परीक्षा को प्रश्नावली, जिसमें छात्र प्रश्नावली, शिक्षक प्रश्नावली और स्कूल प्रश्नावली शामिल थी, के साथ विकसित किया गया। इसे 22 भाषाओं में अनुवादित किया गया। यह राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण सीबीएसई ने एक ही समय में पूरे देश में करवाया था। सर्वे को नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) द्वारा बनाए गए तकनीकी प्लेटफॉर्म से प्रबंधित किया गया।
कक्षाओं के खत्म होने के समय छात्रों की सीखने की क्षमता को जानने के लिए उनसे ओएमआर आधारित एक उपलब्धि परीक्षा ली गई, जिसमें बहुविकल्पीय सवाल पूछे गए थे। इससे स्कूली शिक्षा के अलग-अलग स्तर पर गहन श्रम और परखे जा चुके विषयों के उपयोग से, छात्रों द्वारा हासिल की गई क्षमता व कुशलता का विश्लेषण किया गया।
शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह रिपोर्ट सभी विषयों में किए गए प्रदर्शन पर आधारित है, जिसे लैंगिक (महिला-पुरुष), क्षेत्र (ग्रामीण और शहरी), स्कूलों के प्रबंधन (सरकारी, सरकार समर्थित और निजी स्कूल) व सामाजिक समूहों- एससी (अनुसूचित जाति), एसटी (अनुसूचित जनजाति), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और सामान्य वर्ग के आधार पर भेद के साथ प्रदर्शित किया गया है।
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Source : IANS