राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली अब स्टार्टअप का हब बनने का प्रयास करेगी। दिल्ली सरकार ने गुरुवार को अपनी अनोखी स्टार्टअप पॉलिस लॉन्च की। इसके तहत सरकार बिना गारंटी के को-लेटरल फ्री लोन दिलाने में मदद करेगी, जो एक साल के लिए ब्याज मुक्त होगा। चार्टर्ड अकाउंटेंट, वकीलों, विशेषज्ञओं आदि का पैनल बनाया जाएगा, जहां स्टार्टअप को मुफ्त मदद दी जाएगी। साथ ही सरकार कुछ शर्तों में ढील देकर स्टार्टअप का सामान भी खरीदेगी। दिल्ली सरकार के कॉलेजों में पढ़ने वाला कोई बच्चा अगर स्टार्टअप करना चाहता है, तो वो एक से दो साल तक की छुट्टी भी ले सकेगा।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम और एंटरप्रिन्योरशिप क्लासेस अब कॉलेजों में भी शुरू की जाएंगी। कॉलेज की पढ़ाई करते हुए बच्चे बिजनेस आइडियाज तैयार कर सकेंगे और सरकार उनकी पूरी तरह से मदद करेगी। सरकार कुछ शर्तों में ढील देकर स्टार्टअप का सामान भी खरीदेगी, लेकिन मॉल की क्वॉलिटी से कोई समझौता नहीं होगा।
सीएम ने कहा कि एक टास्क फोर्स बनाई जाएगी, जहां स्टार्टअप पॉलिसी में रजिस्टर करने के लिए आवेदन करना होगा। मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में दिल्ली के युवा एक यूनिकॉर्न बनाएंगे। दिल्ली से बड़ी-बड़ी कंपनियां निकलेंगी और खूब तरक्की करेंगे।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली स्टार्टअप पॉलिसी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह बड़ी बात है कि एक नौजवान युवा जब अपना नया बिजनेस शुरू करना चाहता है, तो वो 10 फीसद समय तो अपने बिजनेस को देता है और 90 फीसद समय वो इस पर देता है कि मेरे को जीएसटी के लिए आवेदन करना है, इनकम टैक्स विभाग जाना है और तमाम सरकारी विभागों में जाना है। वो 90 फीसद समय इन चीजों में व्यस्त रहता है। इसलिए हमने यह तय किया है और यह एक तरह से नई तरह की शुरूआत हो रही है कि हम ढेर सारी एजेंसियों और प्रोफेशनल को हायर करेंगे। उन सभी का एक-एक पैनल बना देंगे। जैसे- चार्टर्ड अकाउंटेंट, वकीलों और विशेषज्ञों का पैनल बना देंगे। एक स्टार्टअप वाला व्यक्ति उनमें से किसी के पास जाकर उनकी मदद ले सकता है और वह मदद बिल्कुल फ्री होगी।
जो बच्चे दिल्ली सरकार के कॉलेज में पढ़ रहे हैं और वो कोई स्टार्टअप करना चाहता है। उसने पढ़ते-पढ़ते कोई प्रोडक्ट बनाया है, तो सरकार उसको अपनी पढ़ाई में दो साल तक की छुट्टी भी देने के लिए तैयार है। वह दो साल की छुट्टी ले सकता है, ताकि वो अपने प्रोडक्ट पर ध्यान दे सके। इसके बाद वापस आकर वो अपना कोर्स पूरा करके अपनी डिग्री ले जाए। पढ़ते-पढ़ते कॉलेज के बच्चों को भी एक से दो साल की छुट्टी लेने की इजाजत दी जाएगी।
इसकी प्रक्रिया यह होगी कि इसके लिए 20 लोगों की एक टास्क फोर्स बनाई जा रही है। इसमें केवल एक सरकारी अधिकारी होगा, जबकि 10 फीसद लोग एकेडमी के होंगे और 85 फीसद लोग प्राइवेट इंडस्ट्री के होंगे। अगर कोई भी दिल्ली सरकार के स्टार्टअप पॉलिसी में रजिस्टर करना चाहता है, तो वो टास्क फोर्स में आवेदन करेगा। इसके बाद टास्क फोर्स यह तय करेगी कि हमें इन्हें रजिस्टर करना है या नहीं करना है। मुझे लगता है कि स्टार्टअप पॉलिसी के बाद बहुत बड़े स्तर पर दिल्ली में स्टार्टअप का बूम आएगा। मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में हमारे दिल्ली के युवा यूनिकॉर्न बनाएंगे और यहां से बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियां निकलेंगी और खूब तरक्की करेंगे।
दिल्ली सरकार लीज रेंटल पर 50 फीसद तक रीइंबर्समेंट देगी, जो अधिकतम 5 लाख रुपए तक प्रति वर्ष हो सकता है। पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, औद्योगिक डिजाइन करने के लिए एक लाख रुपए तक (भारत में) और तीन लाख रुपए तक (विदेश में) प्रतिपूर्ति अनुदान दिया जाएगा। महिलाओं, वंचित वर्ग या विकलांग व्यक्तियों को 100 फीसद और अन्य के लिए 50 फीसद से 5 लाख रुपए तक साल में एक बार प्रदर्शनी स्टाल या किराए की लागत की प्रतिपूर्ति दी जा सकती है।
एक वर्ष तक परिचालन या कर्मचारी के लिए मासिक भत्ता के तौर पर 30 हजार रुपए प्रतिमाह दी जा सकती है। साथ ही, प्रतिस्पर्धी कार्यक्रमों के विजेता और चयनित लोगों को टोकन पुरस्कार दिया जाएगा। विजेता छात्रों के शैक्षिक शुल्क के लिए छात्रवृत्ति, फैब्रिकेशन लैब और को-वकिर्ंग स्पेस के लिए वित्तीय सहायता, इंटरनेट का चार्ज भी दिया जा सकता है, जो 50 फीसद से अधिकतम 2.5 लाख रुपए तक प्रतिवर्ष हो सकता है और यह सुविधा तीन साल के लिए होगी।
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Source : IANS