मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) का नाम तब से ज्यादा चर्चा में आया जब से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald trump) ने भारत से अपील के बाद धमकी भरे लहजे में इसे मांगा था. दावा किया जा रहा है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज में मददगार साबित हो रहा है. तो क्या यह वाकई सही है...इस बाबत जब दिल्ली एम्स (AIIMS)के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ( Randeep Guleria) से पूछा गया तो उनका जवाब नहीं में था.
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना था, 'कुछ लैब्स के डेटा ने दिखाया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) कोरोना के मरीजों पर असर करती है. लेकिन उस डेटा पर ऐसे भरोसा नहीं किया जा सकता.'
ये दवा सभी के लिए नहीं बल्कि हेल्थ केडर से जुड़े लोगों के लिए फायदेमंद है
रणदीप गुलेरिया ने ICMR के एक्सपर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि यह उनके लिए लाभकारी सिद्ध हुई है जो कोरोना मरीज के इलाज की देखरेख में लगे लोग हैं. खासतौर पर हेल्थ केयर से जुड़े लोग.
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इस दवा का फायदा कम नुकसान ज्यादा है
उन्होंने कहा कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) हर किसी के इलाज के लिए नहीं है. इससे दिल की समस्या हो सकती है, धड़कने तेज हो सकती हैं. किसी भी अन्य दवाई की तरह इसके भी साइड इफेक्ट हैं.अगर आम पब्लिक पर इसका इस्तेमाल किया गया तो यह फायदे से ज्यादा नुकसान करेगी.
कोरोना का फिलहाल कोई दवा नहीं
एम्स के डायरेक्टर गुलेरिया ने कहा कि चीन और फ्रांस में ऐसी स्टडी हुई है कि हाइड्रोक्जिक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन को मिलाकर देने से कोरोना मरीजों का इलाज हो पाया है. लेकिन इस स्टडी को विस्तार से देखने पर यह कारगार नहीं लगता. उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई और इलाज नहीं है इसलिए इसे इस्तेमाल करके देखा जा रहा.
इसके साथ ही उन्होंने फ्रांस की स्टडी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन मरीजों को मलेरिया की दवा से ठीक होने का दावा किया जा रहा है, उनमें से बहुत से लोग खुद ही ठीक हो रहे थे. इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रीसर्च के हेड रमन आर के मुताबिक HCQ का इस्तेमाल इन्फेक्शन न हो, इसके लिए किया जा सकता है लेकिन इलाज के तौर पर नहीं.
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भारत सिर्फ विदेशी सरकारों को देगी दवा
बता दें कि भारत मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, जिसकी इस समय दुनिया भर में बहुत अधिक मांग है, का निर्यात सिर्फ विदेशी सरकारों को करेगा और निजी कंपनियों को इसे नहीं बेचा जाएगा. सूत्रों ने यह जानकारी दी. यह उत्पाद इस समय निर्यात के लिए प्रतिबंधित श्रेणी में है, इसलिए यह फैसला किया गया है.
Source : News Nation Bureau