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तमिलनाडु संकट: द्रमुक ने की राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग, 21 विधायकों के समर्थन वापसी का दावा

तमिलनाडु में जारी राजनीतिक संकट को लेकर विपक्षी दलों ने आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर मामले में तत्काल हस्तक्षेप किए जाने की मांग की है।

Updated on: 31 Aug 2017, 12:53 PM

highlights

  • पलानीसामी सरकार पर राष्ट्रपति से मिला विपक्ष, 21 विधायकों के समर्थन वापसी का दावा
  • DMK ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन, तमिलनाडु विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराए जाने की मांग

नई दिल्ली:

तमिलनाडु में जारी राजनीतिक संकट को लेकर विपक्षी दलों ने आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर मामले में तत्काल हस्तक्षेप किए जाने की मांग की है।

प्रमुख विपक्षी दल द्रमुक की अगुवाई में राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंप कर विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराए जाने की मांग की है। विपक्षी दलों ने पलानीसामी की सरकार से 21 विधायकों की समर्थन वापसी का दावा किया है।

राष्ट्रपति से मिलने के बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल सीपीएम (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) नेता सीताराम येचुरी ने कहा, 'हमने तमिलनाडु विधानसभा का सत्र तत्काल बुलाए जाने की मांग की है। विधानसभा में ही यह तय होना चाहिए कि किसके पास बहुमत है।'

वहीं कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'हमने राष्ट्रपति को यह लिखकर दिया है कि 21 विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।'

मामले की शुरुआत तब हुई जब पलानीसामी और पन्नीसेल्वम गुट के विलय से नाराज होकर पार्टी महासचिव वी के शशिकला के भतीजे दिनाकरन गुट के 19 विधायकों ने राज्यपाल सी विद्यासागर राव को पत्र लिखकर सरकार से समर्थन ले लिया। वी के शशिकला फिलहाल भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद हैं।

एआईएडीएमके के विधानसभा में 134 सदस्य है। इसमें विधानसभा अध्यक्ष शामिल नहीं है। लेकिन दिनाकरन विधायकों के समर्थन वापसी के बाद यह संख्या घटकर 115 हो गई है। खबरों के मुताबिक तीन से चार विधायकों के दिनाकरन गुट में शामिल होने की संभावना है।

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तमिलनाडु विधानसभा में 234 सीट है और इसमें से एक सीट एआईएडीएमके की नेता जे जयललिता के निधन से खाली है। वहीं डीएमके के 89 सदस्य हैं। कांग्रेस के 8 व आईयूएमएल का एक सदस्य है। तमिलनाडु में कांग्रेस, आईयूएमएल व डीएमके का गठबंधन है।

इस बीच अन्नाद्रमुक के आवेदन पर विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल ने बागी दिनाकरन गुट के 19 विधायकों से जवाब मांगा है कि उन्हें अयोग्य करार क्यों न दे दिया जाए। विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों ने एक सप्ताह के अंदर जवाब देने के लिए कहा है।

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