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रक्षामंत्री राजनाथ ने चीन-पाकिस्तान मिलीभगत की ओर किया इशारा

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को सड़क संपर्क बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए पाकिस्तान और चीन से खतरे की बात कही.

Updated on: 13 Oct 2020, 03:32 AM

नई दिल्ली:

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को सड़क संपर्क बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए पाकिस्तान और चीन से खतरे की बात कही. सिंह की इस खतरे की बात तब कही, जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए अपनी सातवें दौर की सैन्यवार्ता कर रहे थे. इन इलाकों में चीन और पाकिस्तान किसी खास मिशन के तहत साजिश कर रहे हैं. लेकिन भारत इन संकटों का मजबूती से सामना कर रहा है और इन सभी क्षेत्रों में बड़े और ऐतिहासिक बदलाव भी ला रहा है.

उन्होंने कहा, "आप हमारी उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर बनी स्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं. पहले पाकिस्तान और अब चीन की ओर से भी एक मिशन के तहत सीमा विवाद पैदा किया जा रहा है. पाकिस्तान और चीन के साथ हमारी करीब 7000 किलोमीटर लंबी सीमा है."रक्षामंत्री ने सोमवार को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाए गए 44 पुलों के ई-उद्घाटन के दौरान यह बात कही. उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में नेचिपु सुरंग के लिए आधारशिला भी रखी.

इनमें से अधिकांश पुल वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक जाने वाले क्षेत्रों के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाते हैं, जो भारत-चीन गतिरोध के बीच बुनियादी ढांचे के लिहाज से एक बड़ा कदम है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इनमें से आठ पुल लद्दाख में हैं और 10 पुल जम्मू एवं कश्मीर में हैं. ये पुल रणनीतिक महत्व के हैं और दूरदराज के क्षेत्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं. यह 44 पुल सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं.

रक्षामंत्री ने कहा कि देश हर क्षेत्र में कोविड-19 के कारण उपजी अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है. इसके अलावा पाकिस्तान और चीन की ओर से सीमा पर तनाव और विवादों के इस चुनौतीपूर्ण समय के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व में देश न केवल इन संकटों का ²ढ़ता से सामना कर रहा है, बल्कि सभी क्षेत्रों में बड़े और ऐतिहासिक बदलाव भी ला रहा है.

भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, मंत्री ने कहा कि इस तरह की सभी परियोजनाओं में प्रगति की नियमित रूप से निगरानी की जाती है और इनके समय पर निष्पादन के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाता है. रक्षामंत्री ने सोमवार को पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्वी भारत में सात सीमावर्ती राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निर्मित 44 प्रमुख स्थायी पुलों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित किया.

सिंह ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक और अन्य रैंकों के अधिकारियों को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई भी दी और कहा कि एक बार में 44 पुलों को राष्ट्र को समर्पित करना भी अपने आपमें एक रिकॉर्ड है. सीमावर्ती बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए बीआरओ की सराहना करते हुए मंत्री ने कहा कि ये पुल संबंधित क्षेत्रों में दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएंगे और क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे.

उन्होंने कहा, "पूरे साल सशस्त्र बलों के परिवहन और रसद आवश्यकताओं को भी पूरा करेंगे."मंत्री ने कहा कि सड़कें और पुल 'किसी भी देश की जीवनरेखा' हैं और इन्होंने दूर-दराज के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. सिंह ने कहा कि बीआरओ का वार्षिक बजट 2008-2016 में 3,300 करोड़ रुपये से 4,600 करोड़ रुपये तक हो गया है. उन्होंने कहा कि बजट में पर्याप्त वृद्धि हुई है और अब 2020-21 में इसमें 11,000 करोड़ रुपये की वृद्धि आंकी गई है. उन्होंने कहा, "कोविड-19 के बावजूद इस बजट में कोई कमी नहीं हुई."मंत्री ने यह भी घोषणा की है कि सरकार ने बीआरओ के इंजीनियरों और श्रमिकों को उच्च ऊंचाई के लिए कपड़े स्वीकृत किए हैं.