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रक्षा बल किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार : सीडीएस रावत

शीर्ष जनरल यहां सुखोई..30 एमकेआई की पहली स्क्वाड्रन की तैनाती को लेकर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे.

Updated on: 20 Jan 2020, 11:25 PM

नई दिल्ली:

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि यह पूर्वानुमान व्यक्त करना कठिन है कि पाकिस्तान के साथ किसी युद्ध की परिस्थिति उत्पन्न होगी या नहीं लेकिन सेना के सभी अंग किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं. रावत ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की मौजूदगी को अधिक महत्व नहीं दिया. शीर्ष जनरल यहां सुखोई..30 एमकेआई की पहली स्क्वाड्रन की तैनाती को लेकर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस लड़ाकू विमान को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

उन्होंने कहा कि सेना के तीनों अंगों का काम उभरने वाली किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होता है. जनरल रावत भारत और पाकिस्तान के बीच किसी युद्ध की आशंका को लेकर पूछे गए एक सवाल का उत्तर दे रहे थे. उन्होंने कहा, ‘किसी परिदृश्य के उत्पन्न होने का पूर्वानुमान व्यक्त करना बहुत मुश्किल है. यद्यपि हम हमें दिये जाने वाले किसी भी कार्य के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.’ यह पूछे जाने पर कि हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी किस तरह से भारत के लिए एक खतरा है, उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश अपनी सुरक्षा को रणनीतिक नजरिए से देखता है.

यहां लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन से भारतीय क्षमताओं को बढ़त मिलने की उम्मीद है, खासतौर से हिंद महासागर क्षेत्र में, जहां चीन की मौजूदगी भी बढ़ रही है. चीन का अफ्रीका के ऊपरी हिस्से में जिबूती में एक सैन्य आधार मौजूद है और वह अपनी मौजूदगी बढ़ाने की फिराक में है. उन्होंने कहा, प्रत्येक राष्ट्र अपनी सुरक्षा को अपने रणनीतिक नजरिए से देखता है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, समुद्र नौवहन की स्वतंत्रता के लिए हैं. इसलिए आप देखेंगे कि यदि किसी देश का किसी खास क्षेत्र में हित है तो वह उस क्षेत्र में आकर क्षेत्र में प्रभुत्व कायम करने की कोशिश करेगा, वह ऐसा नौवहन की आजादी के लिए अधिक करता है. किसी देश द्वारा समुद्री व्यापारिक मार्ग के संरक्षण जैसे पहलुओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, इसलिए, मैं नहीं सोचता हूं कि उसे उस नजरिए (चीन से मिलने वाली चुनौती) से देखना चाहिए. 

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उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में नौसेना का परिचालन केवल आवाजाही की आजादी के लिए है. उन्होंने जलदस्यु जैसे पहलुओं का भी उल्लेख किया जो मर्चेंट जहाजों के आवागमन को बाधित कर सकते हैं. इस सवाल पर कि सेना कितनी मजबूत है, रावत ने कहा, ‘सशस्त्र बलों में विश्वास रखिये, वे आपको कभी निराश नहीं करेंगे. उन्होंने पूर्व में भी आपको कभी निराश नहीं किया है और भविष्य में भी निराश नहीं करेंगे.’ सेना में मानवबल की कमी के बारे में पूछे जाने पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष ने कहा कि प्रर्याप्त संख्या में लोग तीनों सेवाओं में शामिल होते हैं, चयन के कुछ कड़े स्वरूप के चलते कुछ अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो पाता. उन्होंने कहा, ‘आपको ऐसे लोगों की जरूरत है जो अपने विचारों से देशभक्त हों और जो मुश्किल परिस्थितियों में काम करने के लिए तैयार हों.’

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जनरल रावत ने कहा कि उनकी नयी भूमिका का उद्देश्य रक्षा प्रणालियों और सेना के सभी अंगों (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) में तालमेल बनाना है. उन्होंने कहा कि इसी कारण से सीडीएस पद सृजित किया गया है. जनरल रावत को गत वर्ष 30 दिसम्बर को देश का पहला प्रमुख रक्षा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उन्होंने कहा, ‘...हम बेहतर तालमेल की ओर बढ़ना जारी रखेंगे.’ यहां वायुसेना अड्डे को मजबूती प्रदान करने को लेकर वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने कहा कि यह (स्क्वाड्रन की तैनाती) दक्षिणी प्रायद्वीप की वायु रक्षा की भूमिका निभाएगा. मानव रहित विमानों से उत्पन्न खतरे के बारे में पूछे जाने पर वायुसेना प्रमुख ने कहा कि इससे नयी प्रणाली विकसित करके निपटा जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘...हमें पता है कि भविष्य में मानव रहित प्रणालियों का इस्तेमाल किया जाएगा और हम हमारे वायुक्षेत्र की अपनी स्वयं की प्रणालियों की प्रौद्योगिकी द्वारा सुरक्षा के साथ रक्षा करने में सक्षम होने चाहिए.’ भारतीय वायुसेना ने यहां वायुसेना स्टेशन पर सुखोई..30 एमकेआई के पहले स्क्वाड्रन को सेवा में शामिल किया. यह दक्षिण भारत में इन लड़ाकू विमानों के लिए पहला ऐसा अड्डा है. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र की रक्षा में सुखोई लड़ाकू विमानों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है. लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई के स्क्वाड्रन ‘टाइगरशार्क्स’ को वायुसेना प्रमुख और शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी में सेवा में शामिल किया गया. ये विमान ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों से लैस हैं.