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रक्षा मंत्रालय ने सिविलियन और मिलिट्री रैंक में बराबरी का दो साल पुराना आदेश किया रद्द, सैन्य अधिकारी थे नाराज़

एक बड़ा फैसला लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने दो साल पहले के फैसले को वापस ले लिया है जिसमें उसने सिविलियन और मिलिट्री ऑफिसर्स के रैंक को बराबरी पर लाया था। इसको लेकर सेना में काफी नाराज़गी भी थी।

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pradeep tripathi
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रक्षा मंत्रालय ने सिविलियन और मिलिट्री रैंक में बराबरी का दो साल पुराना आदेश किया रद्द, सैन्य अधिकारी थे नाराज़
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एक बड़ा फैसला लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने दो साल पहले के फैसले को वापस ले लिया है जिसमें उसने सिविलियन और मिलिट्री ऑफिसर्स के रैंक को बराबरी पर लाया था। इसको लेकर सेना में काफी नाराज़गी भी थी।

रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'सैन्य अधिकारियों और सेना मुख्यालय के सिविल अधिकारियों (AFHQ CS) की समानता को लेकर जारी किया गया 18 अक्टूबर, 2016 के रक्षा मंत्रालय के आदेश को वापस लिया जाता है।'

इसमें कहा गया है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन के निर्देश पर इस आदेश को वापस लिया जाता है। साथ ही कहा गया है कि AFHQ CS के काडर रिस्ट्रक्चरिंग को लागू किया जाएगा।

इसमें कहा गया है, 'कैबिनेट की मंजूरी के बाद सर्विस हेड क्वार्टर से विचार-विमर्श करके पदों का सृजन किया जाएगा।'

सेना के अधिकारियों में इस समान स्टेटस दिये जाने को लेकर काफी असंतोष था। उनका कहना था कि इसमें खामियां हैं और सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिये।

वर्तमान स्थिति में उदाहरण के तौर पर डायरेक्टर लेवेल अधिकारी को डायरेक्टर्स ऑफ आर्म्ड फोर्सेस हेड क्वार्टर्स-काडर के बराबर रखा गया था। जबकि सैन्य अधिकारियों का कहना था कि लेफ्टिनेंट कर्नल डायरेक्टर्स ऑफ AFHQ काडर के बराबर का होता है।

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18 नवंबर 2016 को रक्षा मंत्रालय के आदेश में सिविलियन अधिकारी और सैन्य अधिकारी को उनके काम के हिसाब से समानता दी गई थी।

इस आदेश के अनुसार AFHQ में प्रिंसिपल डायरेक्टर मेजर जनरल के बराबर था। डायरेक्टर ब्रिगेडियर के बराबर की रैंक थी। जबकि ज्वाइंट डायरेक्टर कर्नल के बराबर था।

इससे पहले कर्नल डायरेक्टर के बराबर माना जाता था।

रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि एपीएआर और रिपोर्टिंग आदि पर यथास्थिति बरकरार रहेगी।

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Source : News Nation Bureau

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