किसी भी हालात से निपटने की हम में क्षमता, भारत मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार : राजनाथ
रक्षा मंत्री ने 2020 में गलवान घाटी की घटना के दौरान राष्ट्र की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश उनके सर्वोच्च बलिदान को कभी नहीं भूलेगा.
highlights
- 'उकसाने पर भारत हमेशा मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार'
- 'हम किसी भी स्थिति से निपटने की क्षमता रखते हैं'
- 'भारत-चीन गतिरोध के दौरान आपका प्रयास सराहनीय है'
नई दिल्ली:
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने बंदूक, टैंक और अन्य विशेष उपकरणों सहित भारी हथियार प्रणालियों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए छह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों तक फैले सीमावर्ती क्षेत्रों में 63 महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को राष्ट्र की सुरक्षा और विकास के लिए सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के सरकार के संकल्प की पुष्टि की. सिंह, जो तीन दिनों के लिए लेह के दौरे पर हैं, ने लेह से 88 किलोमीटर दूर क्यूंगम में आयोजित एक कार्यक्रम में 63 पुलों का वर्चुअली उद्घाटन किया.
क्यूंगम से सिंह ने लद्दाख में लेह-लोमा रोड पर बने 50 मीटर लंबे पुल का उद्घाटन किया. रक्षा मंत्रालय ने कहा, यह सिंगल स्पैन स्टील सुपर स्ट्रक्च र ब्रिज, जो मौजूदा बेली ब्रिज की जगह ले रहा है, भारी हथियार प्रणालियों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगा, जिसमें बंदूकें, टैंक और अन्य विशेष उपकरण शामिल हैं. लेह-लोमा रोड, जो लेह को चुमाथांग, हैनली और त्सो मोरोरी झील जैसे स्थानों से जोड़ती है, पूर्वी लद्दाख में आगे के क्षेत्रों तक पहुंच के लिए महत्वपूर्ण है.
इसके अलावा, राजनाथ सिंह ने वर्चुअल तरीके से 62 और पुलों का उद्घाटन किया, जिनमें लद्दाख में 11, जम्मू-कश्मीर में चार, हिमाचल प्रदेश में तीन, उत्तराखंड में छह, सिक्किम में आठ, नागालैंड और मणिपुर में एक-एक और अरुणाचल प्रदेश में 29 पुल शामिल हैं. परियोजनाओं की संयुक्त लागत 240 करोड़ रुपये है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पुल सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को जबरदस्त बढ़ावा देंगे.
कार्यक्रम में सिंह ने दूर-दराज के क्षेत्रों में विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान संपर्क स्थापित करने के लिए बीआरओ की प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए कहा कि इनमें से कुछ पुल दूरस्थ, दुर्गम क्षेत्रों में स्थित कई गांवों के लिए एक जीवन रेखा बन जाएंगे. एक राष्ट्र के विकास के लिए विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी के महत्व को रेखांकित करते हुए, उन्होंने दूर-दराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित करने के लिए सरकार के संकल्प की पुष्टि की और कहा कि 63 पुलों का उद्घाटन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बेहतर कनेक्टिविटी के माध्यम से सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ संबंधित राज्यों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में पुल महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में विभाजित करने के सरकार के फैसले पर, सिंह ने कहा कि मजबूत और दूरदर्शी कदम ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है, जिससे बाहर से प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों में बड़ी कमी आई है और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए नए रास्ते खुल गए हैं.
लद्दाख के विकास के मुद्दे पर, मंत्री ने कहा कि कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की जा रही हैं, जो क्षेत्र के कल्याण के प्रति सरकार के संकल्प को दर्शाती हैं. उन्होंने क्षेत्र में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की. 2020 में गलवान घाटी की घटना के दौरान अनुकरणीय साहस प्रदर्शित करने के लिए भारतीय सेना की सराहना करते हुए, सिंह ने उन बहादुरों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने अपना कर्तव्य निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी.
उन्होंने विवादों को सुलझाने के लिए पड़ोसी देशों के साथ बातचीत का भी आह्वान किया. सिंह ने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है, जो आक्रामकता में विश्वास नहीं करता है. हालांकि, अगर उकसाया गया तो हम इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे. उन्होंने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि सशस्त्र बल किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. सिंह ने सीमाओं पर सुरक्षा को मजबूत करने, सशस्त्र बलों के बीच संयुक्तता बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, हम हर तरह से एक सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
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