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राफेल डील : एके एंटनी के आरोपों पर रक्षा मंत्री का करारा जवाब,UPA बताए HAL से क्यों नहीं हुआ सौदा

राफेल डील (rafael deal) पर मचे सियासी घमासान के बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण (nirmala sitharaman) लगातार सरकार का पक्ष रख रही हैं. दो दिन पहले रक्षा मंत्री ने कहा कि राफेल डील को लेकर सभी तथ्यों को संसद के सामने रखा चुका है. इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के बीच बातचीत करना व्यर्थ है.

Updated on: 18 Sep 2018, 08:57 PM

नई दिल्ली:

राफेल डील (rafael deal) पर मचे सियासी घमासान के बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण (nirmala sitharaman) लगातार सरकार का पक्ष रख रही हैं. दो दिन पहले रक्षा मंत्री ने कहा कि राफेल डील को लेकर सभी तथ्यों को संसद के सामने रखा चुका है. इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के बीच बातचीत करना व्यर्थ है. एक बार फिर वो पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के लगाए आरोपों का पलटवार किया है. 

निर्मला सीतारमण ने कहा, 'यह डील यूपीए सरकार के दौरान नहीं हुआ. यूपीए(UPA)  सरकार के दौरान जो चीजें और नहीं हो पाईं उनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और डसाल्ट उत्पादन शर्तों पर सहमत नहीं हुए जिसके चलते एचएएल और राफेल के बीच करार नहीं हो सका. इन सबकी जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी को लेनी चाहिए.
इसके साथ ही राफेल डील पर रक्षा मंत्री ने कहा कि बेसिक प्राइस पहले से 9 प्रतिशत कम है.'

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एके एंटनी ने लगाया राफेल डील को लेकर बड़ा आरोप

बता दें कि पूर्व रक्षामंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी (ak antony) ने आज बीजेपी सरकार पर आरोप लगाए कि जब सस्ते डील है तो 126 के बजाय 36 राफेल ही क्यों खरीदा गया. इसके साथ ही एचएएल को लेकर भी बयान दिया. एंटनी ने केंद्र सरकार से पूछा, अगर यूपीए की डील खत्म नहीं की जाती, तो हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड (HAL) को अति आधुनिक तकनीक ट्रांसफर पाने का मौका मिलता लेकिन अब उसे लड़ाकू विमान बनाने का अनुभव नहीं मिल पाएगा. भारत ने बहुत बड़ा मौका गंवा दिया.

एचएएल के पास पर्याप्त क्षमता का अभाव

गौरतलब है कि राफेल डील को लेकर कांग्रेस बार-बार यह आरोप लगा रही है कि एचएएल की जगह अनिल अंबानी की फर्म को क्यों मौका दिया गया. निर्मला सीतारमण ने बताया कि आखिर एचएएल, डसॉल्ट की सहयोगी क्यों नहीं बन सकी. उन्होंने कहा कि 126 राफेल डील पर यूपीए सरकार के दौरान अंतिम नतीजे पर इसलिए नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि एचएएल के पास उन्हें बनाने के लिए पर्याप्त क्षमता का अभाव था.

क्या है राफेल डील

बता दें कि साल 2012 में तत्कालीन सरकार ने फैसला किया था कि फ्रांस से 18 शेल्फ जेट्स खरीदे जाएंगे, और बाकि 108 विमानों को देश में ही राज्य संचालित एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी एचएएल (HAL) द्वारा बनाए जाएंगे. इस पूरे रक्षा सौदे में नया मोड़ साल 2015 में आया जब एनडीए सरकार ने यूपीए सरकार के फैसले को बदलते हुए फ्रांस से 36 'रेडी टू फ्लाई' राफेल जेट्स खरीदने का निर्णय लिया.

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