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कोविड-19 से मरने वाले श्रमिकों के आश्रितों के लिए राहत की घोषणा

नियोक्ता के हिस्से में अतिरिक्त खर्च डाले बगैर कर्मचारियों को ज्यादा सामाजिक सुरक्षा दिलाने की उम्मीद की गई है.

Updated on: 31 May 2021, 12:07 AM

highlights

  • बीमित व्यक्ति निश्चित तौर पर वेतन के लिए नियोजित होना चाहिए
  • अब ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए न्यूनतम सेवा की जरूरत नहीं है

नई दिल्ली:

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने ईएसआईसी और ईपीएफओ योजनाओं के माध्यम से श्रमिकों के लिए अतिरिक्त लाभों की घोषणा की है. इससे कोविड-19 महामारी में श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की बेहतरी, डर और चिंता का समाधान किया जा सकेगा. नियोक्ता के हिस्से में अतिरिक्त खर्च डाले बगैर कर्मचारियों को ज्यादा सामाजिक सुरक्षा दिलाने की उम्मीद की गई है. केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने रविवार को कहा कि वर्तमान में ईएसआईसी के तहत बीमित व्यक्तियों (आईपी) के लिए, मौत या काम की वजह से चोट के कारण बीमित व्यक्ति की अक्षमता के बाद श्रमिक की औसत दैनिक मजदूरी के 90 फीसदी के बराबर पेंशन पति या पत्नी और विधवा मां को जीवनभर के लिए और बच्चों के लिए 25 वर्ष की उम्र होने तक के लिए उपलब्ध है. वहीं, बच्ची (लड़की) के लिए यह उनकी शादी होने तक के लिए है. ईएसआईसी योजना के तहत बीमित व्यक्तियों (आईपी) के परिवारों की सहायता करने के लिए निर्णय लिया गया है. आईपी के परिवार के सभी आश्रित सदस्य जो ईएसआईसी के ऑनलाइन पोर्टल में कोविड बीमारी के निदान और इस रोग के कारण बाद में मौत से पहले पंजीकृत हैं, उन्हें भी काम के दौरान मरने वाले बीमित व्यक्तियों के आश्रितों को प्राप्त होने वाले लाभ और इसे समान स्तर पर ही हासिल करने के हकदार होंगे.

यह जिन पात्रता शर्तो के अधीन होगा, उनमें आईपी को ईएसआईसी ऑनलाइन पोर्टल पर कोविड रोग के निदान और इसके चलते होने वाली मौत से कम से कम तीन महीने पहले पंजीकृत होना चाहिए. बीमित व्यक्ति निश्चित तौर पर वेतन के लिए नियोजित होना चाहिए. मृतक बीमित व्यक्ति के संदर्भ में कोविड रोग का पता चलने, जिससे मौत हुई हो, ठीक पूर्ववर्ती एक साल के दौरान कम से कम 78 दिन का अशंदान होना चाहिए. बीमित व्यक्ति, जो पात्रता की शर्तो को पूरा करते हैं और कोविड बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई है, उनके आश्रित अपने जीवन के दौरान बीमित व्यक्ति के औसत दैनिक वेतन का 90 फीसदी मासिक भुगतान प्राप्त करने के हकदार होंगे. यह योजना 24.03.2020 से दो वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होगी.

ईपीएफओ की कर्मचारी जमा सहबद्ध बीमा योजना (ईडीएलआई) के तहत इस योजना के सदस्य की मौत होने पर उनके परिवार के सभी जीवित आश्रित सदस्य ईडीएलआई के लाभों को हासिल करने के योग्य होंगे. इस समय इस योजना के तहत, कर्मचारी की मौत के मामले में दिए गए लाभों का विस्तार किया गया है, अब ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए न्यूनतम सेवा की जरूरत नहीं है. पारिवारिक पेंशन का भुगतान ईपीएफ और एमपी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार किया जा रहा है. कर्मचारी के बीमार होने और कार्यालय न आने की स्थिति में साल में 91 दिनों के लिए बीमारी लाभ के रूप में कुल मजदूरी का 70 फीसदी का भुगतान किया जाता है. मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में इसमें संशोधन किए गए हैं. अब मृतक कर्मचारी के परिजनों को मिलने वाली अधिकतम लाभ राशि को 6 लाख से बढ़ाकर 7 लाख कर दिया गया है. मृतक कर्मचारियों के पात्र परिवार के सदस्यों को 2.5 लाख रुपये का न्यूनतम आश्वासन लाभ, जो अपनी मौत से पहले एक या अधिक प्रतिष्ठानों में 12 महीने की निरंतर अवधि के लिए सदस्य था. मौजूदा प्रावधान में एक प्रतिष्ठान में 12 महीने तक लगातार रोजगार का प्रावधान है.