हिजाब (Hijab) पर फैसला आज, कर्नाटक में बढ़ाई गई सुरक्षा, कई जिलों में धारा 144 लागू
राज्य सरकार ने राज्य की राजधानी बेंगलुरु में सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी सभाओं पर एक सप्ताह के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.
highlights
- बेंगलुरु में एक सप्ताह तक सभी समारोहों पर रोक
- शैक्षणिक संस्थानों के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है
- सोमवार को रात 8 बजे से 19 मार्च की सुबह 4 बजे तक धारा 144 लागू
बेंगलुरु:
Hijab Controversy : कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा. सरकार ने सोमवार को राज्य भर के शैक्षणिक संस्थानों के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी है. एक आदेश में बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने कहा कि चूंकि विरोध प्रदर्शनों की वजह से सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बिगड़ गई है, इसलिए पुलिस ने उचित सुरक्षा बढ़ा दी है. बेंगलुरु शहर में स्कूलों, पीयू कॉलेजों, डिग्री कॉलेजों या इसी तरह के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुख गेट से 200 मीटर के दायरे के भीतर किसी भी प्रकार की सभा, आंदोलन या विरोध को प्रतिबंधित कर दिया है. पिछले दिनों कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों, विशेष रूप से स्कूल और कॉलेजों में हिजाब को लेकर तनावपूर्ण स्थिति देखी गई थी.
यह भी पढ़ें : हिजाब विवाद पर छात्राओं ने कहा- ये एक पॉलिटिकल गेम है
राज्य सरकार ने राज्य की राजधानी बेंगलुरु में सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी सभाओं पर एक सप्ताह के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. उडुपी के पुलिस अधीक्षक एन विष्णुवर्धन ने कहा कि जिले में पुलिस की तैनाती पहले की तरह जारी रहेगी. उन्होंने कहा, हमारे पास स्थानीय पुलिस और केएसआरपी (कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस) की तीन कंपनियां पिछले कुछ हफ्तों से तैनात हैं. सभी पुलिस शिक्षण संस्थानों के आसपास तैनात रहेगी. उन्होंने कहा कि इस दौरान निषेधाज्ञा जारी रहेगी.
कलबुर्गी जिला प्रशासन ने भी सोमवार को रात 8 बजे से 19 मार्च की सुबह 4 बजे तक धारा 144 लागू कर दी है. 9 फरवरी को गठित उच्च न्यायालय की पीठ ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली कुछ लड़कियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की थी. 28 दिसंबर को उडुपी में लड़कियों के लिए एक प्री-यूनिवर्सिटी गवर्नमेंट कॉलेज में लड़कियों को हेडस्कार्फ़ पहनने के लिए प्रवेश से वंचित कर दिया गया था.
दो कॉलेजों से शुरू हुआ था विवाद
हिजाब को लेकर उडुपी और मंगलुरु के तटीय जिलों में दो कॉलेजों के साथ विवाद शुरू हुआ था, जिसके बाद अधिकतर संस्थानों ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. बढ़ते विवादों के बीच हिंदू समूहों ने स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब में महिलाओं के प्रवेश का विरोध करने के लिए भगवा शॉल पहनकर एकत्र हुए थे. बाद में हिजाब को लेकर शिवमोग्गा में अलग-अलग झड़पें हुईं और राज्य सरकार ने 5 फरवरी को एक विवादास्पद आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि छात्रों को हिजाब के साथ कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
हिजाब को लेकर कोर्ट में छात्रों ने दिया था तर्क
सुनवाई के दौरान छात्रों ने तर्क दिया कि हिजाब पहनना इस्लाम के तहत एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है और स्कूल के दौरान कुछ घंटों के लिए भी इसका निलंबन संविधान के अनुच्छेद 19 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. हालांकि, राज्य ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता हिजाब को एक जरूरी धार्मिक प्रथा घोषित करने की मांग कर रहे थे, जो हर मुस्लिम महिला को एक विशेष ड्रेस कोड का पालन करने के लिए बाध्य करेगा.
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