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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में फ्लोर टेस्ट (Floor Test) करवाने का गवर्नर (Governor) का फैसला एकदम सही था, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कराने के राज्‍यपाल के आदेश को लेकर दायर याचिका पर फैसला देते हुए सोमवार को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट करवाने का गवर्नर का फैसला एकदम सही था.

Updated on: 13 Apr 2020, 11:58 AM

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में फ्लोर टेस्ट (Floor Test) कराने के राज्‍यपाल के आदेश को लेकर दायर याचिका पर फैसला देते हुए सोमवार को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट करवाने का गवर्नर (Governor) का फैसला एकदम सही था. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विस्‍तृत फैसला देते हुए कहा, गवर्नर विधानसभा के चालू सत्र के दौरान भी अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं और दावे को लेकर आश्वस्त न होने पर फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकते हैं. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एसआर बोम्मई केस का हवाला देते हुए कहा कि चालू सत्र के बीच भी फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया जा सकता है. कोर्ट ने इस बारे में कमलनाथ की ओर से उठाई गई दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि गवर्नर सिर्फ विधानसभा सत्र बुला सकते हैं, लेकिन जारी सत्र के दरमियान फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं दे सकते.

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इससे पहले 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मामले में एक दिन बाद ही 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि फ्लोर टेस्ट हाथ उठाकर होगा और इसकी वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी. हालांकि फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ सरकार ने इस्‍तीफा दे दिया था और इसकी नौबत ही नहीं आई थी.

मध्य प्रदेश विधानसभा स्‍पीकर की ओर से जिरह करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था, बीजेपी की ओर से बार-बार फ्लोर टेस्ट की बात दोहराई जा रही है. यह सीधे-सीधे स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश है. सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में यूं दखल नहीं दे सकता. दलबदल कानून के तहत 2/3 विधायकों का पार्टी से अलग होना जरूरी है. अब BJP की ओर से इससे बचने का नया तरीका निकाला जा रहा है. 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी. नई सरकार में यह 16 कोई फायदा ले लेंगे.

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सिंघवी ने यह भी कहा था, सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता तय करने का अधिकार है. अगर उनकी तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता. स्पीकर ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता. इसलिए, इससे बचने के लिए स्पीकर के कुछ करने से पहले फ्लोर टेस्ट की बात दोहरानी शुरू कर दी गई. इस पर जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा था कि दोनों के अधिकारों में संतुलन जरूरी है. विधायकों को इस्तीफा देने का अधिकार है तो स्पीकर को फैसला लेने का अधिकार है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर आपने इस्तीफा नामंज़ूर किया, फिर MLAs व्हिप से बंध जाएंगे. अगर उन्होंने व्हिप का उल्लंघन किया तो भी स्पीकर उन्हें अयोग्य करार दे सकते हैं. जस्टिस चन्दचूड़ ने अहम टिप्पणी की कि हम हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं, इसलिए जल्दी फ्लोर टेस्ट कराना जरूरी है. सिंघवी ने जवाब दिया कि इससे यह तय होगा कि नई सरकार में अपनी पार्टी से विश्वासघात करने वाले MLA को क्या मिल सकेगा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पीकर द्वारा इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लिए जाने का फ्लोर टेस्ट से क्या संबंध है. उसे क्यों रोका जाए.

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इस पर अभिषेक सिंघवी ने कहा, विधानसभा का सत्र चल रहा हो उस दौरान कोर्ट ने कभी भी फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं दिया है. यह मामला भी ऐसा ही है. इससे पहले महारास्ट्र और कर्नाटक में जब भी फ्लोर टेस्ट का आदेश हुआ, तब वो नई विधानसभा थी. सिंघवी ने फिर दोहराया- लेकिन कर्नाटक का केस अलग था. वहां अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था. अगर यहां भी ऐसा होता है तो स्पीकर नियम के मुताबिक उस पर फैसला लेंगे.