अयोध्या मामले पर 5 जजों का फैसला आखिरी नहीं : जफरयाब जिलानी

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही अपना फैसला सुना दिया हो, मगर इस फैसले से सुन्नी वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी संतुष्ट नहीं हैं और पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों का यह फैसला आखिरी

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही अपना फैसला सुना दिया हो, मगर इस फैसले से सुन्नी वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी संतुष्ट नहीं हैं और पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों का यह फैसला आखिरी

author-image
Kuldeep Singh
New Update
अयोध्या मामले पर 5 जजों का फैसला आखिरी नहीं : जफरयाब जिलानी

जफरयाब जिलानी( Photo Credit : फाइल फोटो)

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही अपना फैसला सुना दिया हो, मगर इस फैसले से सुन्नी वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी संतुष्ट नहीं हैं और पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों का यह फैसला आखिरी नहीं है. जिलानी ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, "इन पांच जजों के दर्जनभर से ज्यादा फैसलों को सुप्रीम कोर्ट पहले भी निरस्त कर चुका है. 13 जजों की बेंच बनाई गई है. सुप्रीम कोर्ट कभी नहीं कहता है कि पांच जजों का फैसला आखिरी है और उसे मानना ही है. जो कानून के इतिहास को नहीं जानते, उन्हें पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात पर जरूर ताज्जुब हो रहा होगा."

Advertisment

यह भी पढ़ेंः AIMPLB बैठक पर बोले पक्षकार इकबाल अंसारी- अब इस मसले को यहीं खत्म करो 

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "मेरा लिखित बयान है कि हम सुप्रीम कोर्ट के आखिरी फैसले को मानेंगे. यह जो आया है, सो आखिरी फैसला है ही नहीं. अनुच्छेद 137 यह इजाजत देता है कि जो फैसले से संतुष्ट नहीं है, वह पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है." जिलानी ने मामले के दो जिम्मेदारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड व मुस्लिम पर्सनल बोर्ड और आयोध्या के मुसलमानों का जिक्र करते हुए कहा, "इस मामले में बाकी लोग अपनी राय न दें. मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दूसरी जगह लेने का प्रस्ताव शरीयत के खिलाफ है. इस्लामी शरीयत इसकी इजाजत नहीं देती. वक्फ एक्ट भी यही कहता है. सुप्रीम कोर्ट मस्जिद की जमीन को बदल नहीं सकता. अनुच्छेद 142 के मुताबिक वह किसी संस्थान के खिलाफ नहीं जा सकता."

यह भी पढ़ेंः अयोध्या मसले पर बैठक में मुस्लिम संगठन दो फाड़, पक्षकारों ने किया बहिष्कार 

सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर न किए जाने का जिक्र करने पर वकील जिलानी ने कहा, "वह पुनर्विचार याचिका डाले या न डाले, इससे हमारे मुकदमे में कोई फर्क नहीं पड़ता है. इस फैसले को मुस्लिम समुदाय मंजूर नहीं करता है. सुन्नी वक्फ बोर्ड को अगर पुनर्विचार याचिका के खिलाफ जाना है तो जाए. एक पार्टी इसमें कुछ नहीं कर सकती." यह जिक्र किए जाने पर कि नौ नवंबर को आए फैसले से ज्यादातर मुस्लिम संतुष्ट थे. उन लोगों ने सोशल मीडिया पर फैसले के पक्ष में विचार प्रकट किए हैं, जिलानी ने कहा, "इस मुल्क में 20 करोड़ मुस्लिम हैं. लाख दो लाख संतुष्ट हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता. फैसले के एक घंटे बाद से वे संतुष्ट नहीं दिखे हैं."

यह भी पढ़ेंः मस्जिद के लिए नहीं लेनी चाहिए जगह, ओवैसी के समर्थन में आए जफरयाब जिलानी

यह जिक्र किए जाने पर कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कुछ सदस्य भी पुनर्विचार याचिका दायर करने के पक्ष में नहीं हैं, जिलानी ने कहा कि हर लोकतंत्रिक व्यवस्था में कुछ न कुछ मत-भिन्नता होती है. कुछ पढ़े-लिखे मुस्लिम कहते हैं कि यह मामला अगर पहले निपटा दिया जाता तो इतना लंबा न खिंचता, इस बात पर जिलानी ने कहा, "ऐसा मशविरा देने वाले लोगों को उनका मशविरा उन्हें ही मुबारक हो. ऐसे लोग सिर्फ ड्राइंग रूम में बैठकर सिर्फ सलाह दे सकते हैं. हम अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं.

इस लड़ाई को हम 1986 से लड़ रहे हैं. ओवैसी (असदुद्दीन ओवैसी) के पिता ने भी इस लड़ाई में हमारा साथ दिया है." उन्होंने कहा, "अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका नौ दिसंबर से पहले दायर की जाएगी. हम भारतीय संविधान के कानूनी विकल्प को चुनेंगे. इस मामले में हम जब तक मुतमइन नहीं हो जाते, हमारा संघर्ष जारी रहेगा."

Source : IANS

UP News ram-mandir Ayodhya News Zafaryab Jilani AyodhyaVerdict
      
Advertisment