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राहुल गांधी के 'चौकीदार' बयान से जुड़े मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित

राहुल गांधी ने यह कहकर जनता को भटका दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने 'चौकीदार चोर है' कहा. इसलिए अदालत को राहुल गांधी से माफी मंगवाने का आदेश पारित करना चाहिए.

Updated on: 16 Aug 2019, 04:22 PM

नई दिल्ली:

भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई (Chief of India Rajan Gogoi) ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की शीर्ष अदालत (Supreme Court) को संदर्भित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी करने के मामले में उनके द्वारा अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही बंद करने के लिए दायर मामले में फैसला 10 मई को सुरक्षित कर लिया था, लेकिन उसे सुनाया जाना अभी बाकी है. राहुल ने शीर्ष अदालत से माफी मांगने के बाद याचिका दायर की थी. मामले की सुनवाई के दौरान काफी दलीलें दी गईं, जहां लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक बयानों को लेकर वकीलों को काफी लड़ना पड़ा और तर्क देना पड़ा.

तीन महीने बाद भी फैसले का इंतजार है. राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका भारतीय जनता पार्टी की सांसद मीनाक्षी लेखी (BJP MP Minakshi Lekhi) ने दायर की थी. लेखी के वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohtagi) ने तर्क दिया था कि राहुल को राजनीतिक भाषण (Political Speech) में शीर्ष अदालत को गलत तरीके से जोड़ने के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए. रोहतगी ने अदालत में दलील दी थी, "राहुल गांधी ने यह कहकर जनता को भटका दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने 'चौकीदार चोर है' कहा. इसलिए अदालत को राहुल गांधी से माफी मंगवाने का आदेश पारित करना चाहिए."

राहुल ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिए चुनाव में 'चौकीदार चोर है' का इस्तेमाल किया था. मार्च में जब सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदा (Rafael Deal) मामले में कुछ समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की, तो राहुल ने दावा किया था कि शीर्ष अदालत ने भी कहा था कि 'चौकीदार चोर है.' सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि उसने ऐसा कभी नहीं कहा. राहुल की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek manu Singhvi) ने कहा था कि कांग्रेस नेता ने अदालत द्वारा नोटिस जारी करने से पहले भी खेद व्यक्त किया था. 

अदालत ने, हालांकि, इसे स्वीकार नहीं किया, जिसके बाद राहुल ने माफी मांगी. सिंघवी ने तर्क दिया था, "इसलिए, मामले को बंद कर दिया जाना चाहिए." रोहतगी ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल की माफी को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए, और कानून के अनुसार उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए. तीन पन्नों के एक हलफनामे में, राहुल ने कहा था "प्रतिवादी बिना शर्त के गलत तरीके से अदालत को संदर्भित कर बयान देने के मामले में माफी मांगता है. प्रतिवादी आगे कहता है कि इस तरह के कोई भी आरोप पूरी तरह से अनजाने में, गैर-इरादतन थे." इससे पहले, गांधी ने दो हलफनामों में दो बार अपनी टिप्पणी के लिए खेद व्यक्त किया था, उन्होंने कहा कि उन्होंने चुनाव प्रचार के माहौल में ऐसी टिप्पणी कर दी थी.