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दिल्ली हाईकोर्ट में अरुण जेटली के मानहानि मामले की आज लगातार दूसरे दिन जिरह हुई। इस मामले में अरुण जेटली ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया है।
आज जिरह की शुरुआत केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी ने की। उन्होंने अरुण जेटली से ये सवाल पूछे:
राम - आपको केजरीवाल से कोई दुश्मनी नहीं है ?
जेटली- मुझे कोई निजी दुश्मनी नहीं है लेकिन मुझे उनका नहीं पता। एक बार वो DDCA का प्रेजीडेंट का चुनाव लड़े और हार गए। यहां तक कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने मेरे खिलाफ जमकर प्रचार किया।
राम- आप अमृतसर चुनाव की बात कर रहे हैं? क्या ये सही नहीं कि पहली बार आप गुजरात के अलावा कहीं और से चुनाव लड़ना चाहते थे?
जेटली के वकीलों ने विरोध किया लेकिन जेटली : हां
राम : आप अमृतसर से चुनाव लड़ रहे थे तो भी गुजरात से राज्यसभा सदस्य थे ?
जेटली : हां
राम: क्या ये आपका पहला लोकसभा चुनाव था?
जेटली : हां मैं पहली बार लड़ा था।
राम : तो आप पहली बार लोकतंत्र में अपनी ग्रेट रेपूटेशन का टेस्ट कर रहे थे?
जेटली : चुनावों में कई फैक्टर होते हैं सिर्फ प्रत्याशी का रेपूटेशन का सवाल नहीं होता। याद रहे कि केजरीवाल भी 2014 लोकसभा का चुनाव वाराणसी में 3.50 लाख वोटों से हारे थे।
राम : मेरी सलाह मानिए, जो पूछा जा रहा है, वही जवाब दीजिए?
राम: क्या आप एक लाख से ज्यादा वोटों से हारे?
जेटली : सही है।
राम : आप लोकसभा चुनाव लड़े जबकि राज्यसभा में दो साल बचे हुए थे ?
जेटली : राज्यसभा के कार्यकाल में चार साल बचे थे।
राम : इसकी क्या वजह है कि बिशन सिंह बेदी ने आपके खिलाफ PM को गंभीर शिकायत दी?
जेटली : मैं ऐसोसिएशन का अध्यक्ष था और बेदी को चीफ कोच बनाया गया था। उनका कार्यकाल खत्म हो गया था इसके बावजूद मैं नरमी दिखाता रहा।
राम : क्या आपने बेदी की चिट्ठी देखी ?
जेटली : मुझे याद नहीं है। जब PM ने शपथ ली तो मैं BCCI और डीडीसीए दोनों से अलग हो गया।
राम : क्या पीएम ने आपको ये लैटर दिखाया था? क्या आप इसे पढ़कर बता सकते हैं कि इसमें क्या गलत लिखा है ?
जेटली : इस लैटर में मेरे बारे में लिखी बातों से मैं इनकार करता हूं। मैंने वित्त मंत्री या संसद सदस्य रहते वक्त कभी भी मंत्रालय या विभाग का सहारा नहीं लिया। मैंने कंपनी अफेयर्स का मंत्रालय संभाला लेकिन कभी भी डीडीसीए संबंधी कोई फाइल या कागजात मेरे सामने नहीं आए। ना ही मैंने इससे संबंधी कोई सवाल पूछा। इसलिए हितों के टकराव का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
राम : मिस्टर जेटली मैंने ये नहीं पूछा कि आपने लैटर के बाद क्या किया। ये जानना चाहते हैं इसमें कौन सी बात गलत है ?
जेटली : मैंने साफ जवाब दिया है कि कोई हितों का टकराव नहीं था।
राम: आप जानते हैं कि लेटर में लिखी बातें उस वक्त की हैं जब आप एसोसिएशन का हिस्सा थे ?
जेटली : जहां तक मेरी जानकारी है, ये बातें झूठी हैं. मैं BCCI और DDCA से लिंक खत्म करना चाहता था। 2014 के किसी वक्त में एसोसिएशन से जुड़ा था लेकिन वो कोई पद नहीं था बल्कि एक तरह से बिना कार्यभार वाला काम था. मेरे आग्रह पर वो भी खत्म हो गया।
राम : क्या आपके पास एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य के अधिकार थे ?
जेटली : एकदम नहीं बता सकता लेकिन मैंने कभी एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
राम : आपने मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया ?
जेटली : मैं याद कर रहा हूं कि एक बार मैं मीटिंग में गया था और इसके बाद मैंने इससे अलग करने का आग्रह किया था।
राम : अब आपने ये लैटर पढ़ लिया। इसमें क्या ऐसा फैक्ट है जिससे गुस्सा होकर आपने मुझ पर कारवाई शुरु की?
जेटली : नहीं
राम : क्या पीएम को आपके इरादे पता थे ? क्या आपने उन्हें बताया कि लेटर में लगे आरोपों पर आप अपनी रेपूटेशन को बनाए रखेंगे ?
जेटली : ये लैटर जनवरी 2014 का है जबकि मैंने कानूनी कार्रवाई दिसंबर 2015 में की। मैं 2014 में सूचना प्रसारण विभाग का प्रभारी बना। मई 2014 में मैं प्रभारी नहीं था। अब मैं फाइनेंस एंड कोरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय का प्रभारी हूं।
दिल्ली हाईकोर्ट 15 और 17 मई को इस मामले पर अगली सुनवाई करेगा।
HIGHLIGHTS
- दिल्ली हाईकोर्ट में अरुण जेटली के मानहानि मामले की आज लगातार दूसरे दिन जिरह हुई
- इस मामले में अरुण जेटली ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया है
Source : Arvind Singh