छत्तीसगढ़ हमले की जिम्मेदारी लेते हुए नक्सलियों ने दूरदर्शन के कैमरामैन की हत्या पर दुख जताया है और कहा कि वह उनका निशाना नहीं थे. यह स्वीकारोक्ति 31 अक्टूबर को दो पन्नों के बयान में प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दरभा विभागीय समिति के सचिव साईनाथ के नाम पर जारी की गई है. दंतेवाड़ा जिले में 30 अक्टूबर को हुए हमले में तीन सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे और एक कैमरामैन अच्युत्यानंद साहू का निधन हो गया था.
हिंदी में जारी बयान में कहा गया है कि उनका इरादा पुलिस पर हमला करने का था, न कि मीडिया पर, क्योंकि 'पत्रकार हमारे दोस्त हैं, दुश्मन नहीं.'
नक्सलियों ने मीडियाकर्मियों और अन्य प्रशासनिक कर्मचारियों को संघर्ष क्षेत्रों का दौरा करने के दौरान पुलिस के साथ खासकर चुनाव ड्यूटी पर तैनात पुलिस के साथ नहीं आने का आग्रह किया है.
बयान के अनुसार, 'यह बहुत ही दुख की बात है कि नीलवाया गांव में हमले के दौरान अच्युतानंद साहू का निधन हो गया. यह हमला पुलिसकर्मियों के खिलाफ था जो अरनपुर और बुरगुम के बीच सड़क निर्माण का विरोध कर रहे ग्रामीणों को पीट रहे थे और उनका उत्पीड़न कर रहे थे.'
बयान के अनुसार, 'हमने जानबूझकर पत्रकार को नहीं मारा. मुख्यमंत्री और पुलिस घटना के बाद झूठ फैला रहे हैं. यह हमारे पार्टी को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है. पत्रकार हमारे दुश्मन नहीं है, वे हमारे दोस्त हैं.'
बयान के अनुसार नक्सलियों को पुलिस के साथ दूरदर्शन के दल के बारे में जानकारी नहीं थी. विशेष पुलिस महानिदेशक डी.एम. अवस्थी ने कहा कि बयान की प्रमाणिकता की जांच की जा रही है.
उन्होंने कहा, 'अगर नक्सली मीडियाकर्मियों को निशाना बनाना नहीं चाह रहे थे तो फिर उन्होंने साहू पर गोलीबारी क्यों कि जो कि अपने हाथ में कैमरा लिए हुए थे? बाद में, उन्होंने उनके कैमरे को भी लूट लिया, मीडिया के दो सदस्यों पर भी हमला किया गया.'
उन्होंने कहा कि नक्सली जिस सड़क निर्माण का विरोध कर रहे हैं, वह ग्रामीणों के फायदे के लिए बनाया जा रहा है. हमले में, साहू के अलावा सहायक सब-इंस्पेक्टर रुद्र प्रताप सिंह और कांस्टेबल मंगल राम व राकेश कौशल शहीद हो गए थे.
Source : News Nation Bureau