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सीमाओं की सुरक्षा के लिए तैनात होंगी बेटियां, मिशन यूथ के तहत मिलेगी ट्रेनिंग

मिशन यूथ के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम को जम्मू के जिला प्रशासन ने शुरू किया है। जिसमें सबसे पहले बॉर्डर के 9 ब्लॉक के बच्चों को शामिल किया जा रहा है.

Updated on: 09 Nov 2021, 12:53 PM

नई दिल्ली:

सीमा पर अब बेटियां भी सुरक्षाबलों का हिस्सा होंगी. पाकिस्तानी फायरिंग झलने वाले बॉर्डर के युवाओं को खास तौर पर लड़कियों के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक ऐसे ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरूआत करी है जो बॉर्डर के युवाओं का भविष्य बदलने का काम करेगी. इस ट्रेनिंग प्रोग्राम को जम्मू के जिला प्रशासन ने मिशन यूथ के तहत शुरू किया है। जिसमें सबसे पहले बॉर्डर के 9 ब्लॉक के बच्चों को शामिल किया जा रहा है. यह पहला मौका है जब बॉर्डर की लड़कियां इसमें शामिल हुई है. 9 ब्लॉक में करीब 630 युवाओं को इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए चुना गया है, जिसमें 142 लड़कियां शामिल है. 

एकेडमी ट्रेनिंग भी दी जा रही है

हर सेंटर में 70 लड़के और लड़कियां इस प्रोग्राम का हिस्सा बने हैं. इस प्रोग्राम की खास बात यह है इसमें फिजिकल ट्रेनिंग के साथ-साथ बच्चों को एकेडमी ट्रेनिंग भी दी जा रही है. सीमा पर बच्चों को न केवल आर्म्ड फोर्सेज के लिए बल्कि दूसरे कंपीटेटिव परीक्षाओं के लिए भी तैयार किया जा रहा है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत जम्मू में शुरू किए गए इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में फिलहाल बॉर्डर के 9 ब्लॉक अरनिया,सुचेतगढ़,संवान और अखनूर मंडल,परगवाल,मढ़,खोर,खराबली और अखनूर शामिल किए गए है.

खास तौर पर अरनिया,आर एस पुरा, सुचेतगढ़ यह वैसे इलाके है जो हमेशा पाकिस्तान की फायरिंग की जद में रहे हैं. पाकिस्तान की फायरिंग के चलते इन इलाकों के लोगों को हमेशा से ही भारी नुकसान उठाना पड़ा है। जानमाल के नुकसान साथ-साथ बॉर्डर के पर रह रहे बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान पढ़ाई में उठाना पड़ा है। ऐसे में युवाओं के बीच बॉर्डर पर बेरोजगारी की एक बड़ी समस्या भी है। इसको ध्यान में रखते हुए मिशन यूथ के तहत यह पूरा प्रोग्राम डिजाइन किया गया है।

प्रोग्राम को सी डाइट का नाम दिया

इस प्रोग्राम को सी डाइट का नाम दिया गया है, जिसके अंतर्गत इसमें 4 इंस्ट्रक्टर को ट्रेनिंग के लिए लगाया गया है। यह चारों इंस्ट्रक्टर फिजिकल ट्रेनिंग के साथ-साथ बच्चों को एकेडमी ट्रेनिंग ,कैरियर ट्रेनिंग और दूसरी मदद भी कर रहे हैं। फिलहाल सरकार की तरफ से यह प्रोजेक्ट पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। अगर यह कामयाब होता है तो सरकार इसे  दूसरे जिलों में भी शुरू करने का मन बना रही है। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में खासतौर पर उन युवाओं पर ध्यान दिया जा रहा है जो कम पढ़े लिखे हैं लेकिन अपनी क्षमताओं से भारतीय सेना का हिस्सा बन सकते है। इसके साथ ही जो बच्चे अधिकारी स्तर के पेपर की तैयारी करने चाहते है। उनके लिए भी प्रशासन हर तरह की सुविधा का प्रबंध कर रहा है।