सितंबर में जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में स्थित आर्मी हेडक्वॉर्टर पर आतंकियों के हमले में करीब 17 जवान शहीद हो गए थे। उरी हमले से जुड़े सबूतों की जांच कर रहीं फोरेंसिक टीम ने दावा किया है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक आतंकियों के पास से मिले ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से रिकवर किए गए डाटा से आंतकियों का बेस पाकिस्तान में ही था।
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उरी हमले के आंतकियों के पास मिले 2 जीपीएस डिवाइस की जांच करने वाली फोरेंसिक टीम के मुताबिक डिवाइस के डाटा को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था, ऐसे में डाटा रिकवर करना काफी मुश्किल रहा। जांच के अनुसार डिवाइस के मिले डाटा को रिकवर करने से पता चलता है कि आंतकियों ने उरी आने के लिए मुज्जफराबाद-श्रीनगर रूट लिया था। आंतकी चकोठी की चढाई करके नियंत्रण रेखा के पार आए और हमला करने से पहले दारा गूलान गांव में आराम भी किया। उन्होंने बॉर्डर पर मौजूद फेंस पार करने के लिए सीढ़ी का इस्तेमाल किया था।
इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर ए तैयबा ने ली थी। लश्कर ने गुजरांवाला में लगाए गए पोस्टर में साफ़ लिखा था कि शहीद अनस और अबू सिराक ने उरी में 177 हिंदू सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया है।
HIGHLIGHTS
- अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, उरी हमले के आतंकियों के जीपएस डिवाइस का डाटा रिकवर
- रिकवर किए गए डाटा करते हैं आतंकियों के पाकिस्तान से आने का संकेत
Source : News Nation Bureau