दारुल उलूम ने की तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगाने के सऊदी अरब के फैसले की निंदा
हम किसी को भी किसी धर्म, समुदाय और देश के खिलाफ बोलने की इजाजत नहीं देते. हम केवल इस्लाम के पांच वसूलों के लिए बात करते हैं.
highlights
- दारूल उलूम देवबंद ने की सऊदी अरब के कथित फैसले की निंदा
- तबलीगी जमात सऊदी अरब में भी कर रहा काम
- तबलीगी जमात का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है
नई दिल्ली:
इस्लामिक मदरसा दारूल उलूम देवबंद ने इस्लामिक संगठन तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगाने के सऊदी अरब के कथित फैसले की निंदा करते हुए कहा कि इसे "आतंकवाद का प्रवेश द्वार" बताना गलत है. मदरसा के मुख्य रेक्टर मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने सऊदी अरब से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए कहा कि अन्यथा मुसलमानों में गलत संदेश जा सकता है. यह पहली बार है जब देवबंद के इस्लामिक मदरसा ने सऊदी सरकार की खुलेआम निंदा की है. सऊदी अरब के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में तब्लीगी जमात को आतंकवाद का प्रवेश द्वार करार दिया था और उस पर प्रतिबंध लगा दिया था.
प्रमुख मुस्लिम कार्यकर्ता जफर सरेशवाला ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा, "मैं सऊदी अरब के फैसले से हैरान हूं क्योंकि तबलीगी जमात हमेशा किसी भी चरमपंथी विचार का विरोधी रहा. जमात ने सभी आधुनिक जिहादी आंदोलनों को अस्वीकार कर दिया. यहां तक कि तालिबान भी कई बार तब्लीगी जमात के खिलाफ बोल चुका है. उन्होंने कहा कि सऊदी अरब द्वारा तब्लीगी को आतंकवाद के प्रवेश द्वार के रूप में वर्णित करना अविश्वसनीय और अस्वीकार्य है."
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यूके से एक वीडियो संदेश में, हज़रत निज़ामुद्दीन मरकज़ के तबलीगी जमात के प्रवक्ता समीरुद्दीन कासमी ने कहा, “यह तबलीगी जमात पर एक बड़ा आरोप है. इसका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है. तब्लीगी जमात वह समूह है जो आतंकवाद को रोकता है, आतंकवाद की निंदा करता है और आतंकवाद को खारिज करता है.”
उन्होंने जोर देकर कहा, "हम किसी को भी किसी धर्म, समुदाय और देश के खिलाफ बोलने की इजाजत नहीं देते. हम केवल इस्लाम के पांच वसूलों के लिए बात करते हैं, हमारा कोई भी व्यक्ति कभी भी किसी भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल नहीं पाया गया है.”
उन्होंने कहा, "सऊदी सरकार को गुमराह किया जा रहा है."
तब्लीगी जमात के एक धड़े के सदस्य मोहम्मद मियां ने कहा, 'हमारे जमात पूरी दुनिया में काम कर रहे हैं. सऊदी अरब में भी जमात के सदस्य मुसलमानों को सही रास्ते पर लाने के लिए काम कर रहे हैं जैसा कि पैगंबर ने सिखाया था. हम सऊदी सरकार के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन हमारे जमात सऊदी अरब में काम करना जारी रखेंगे.
दारुल उलूम नदवा के सीनियर फैकल्टी मौलाना फखरूल हसन खान ने कहा, 'अभी तक हमें मीडिया के जरिए ही बैन की खबर मिली है. हम किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले सऊदी अरब में अपने लोगों से संपर्क करेंगे."
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