दलित लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता कांचा इलैया को हैदराबाद पुलिस ने घर में किया नजरबंद

दलित लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता कांचा इलैया को विजयवाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करने से रोकने के लिए शनिवार को घर में नजरबंद कर दिया गया।

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desh deepak
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दलित लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता कांचा इलैया को हैदराबाद पुलिस ने घर में किया नजरबंद

दलित लेखक कांचा इलैया

दलित लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता कांचा इलैया को विजयवाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करने से रोकने के लिए शनिवार को घर में नजरबंद कर दिया गया।
हैदराबाद के तरनाका में उनके घर के बाहर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। आंध्र प्रदेश की एक टीम ने उन्हें बता दिया है कि यदि वह अपने घर से बाहर निकले तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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उनके घर के बाहर बड़ी संख्या में उनके समर्थक जुट गए हैं। उनके एक समर्थक ने कहा कि वे निश्चित तौर पर विजयवाड़ा जाएंगे।

पुलिस की एक टीम ने शुक्रवार को कांचा को नोटिस थमाते हुए कहा था कि विजयवाड़ा में जनसभा के लिए अनुमति नहीं है क्योंकि शहर में निषेधाज्ञा लागू है।

कांचा को आर्य वैश्य समुदाय के विभिन्न संगठनों से धमकियां मिल रही हैं। इस बीच कुछ दलित और पिछड़े वर्ग के संगठन कांचा का साथ निभाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

हैदराबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कांचा को विजयवाड़ा में जनसभा करने की अनुमति नहीं देने की एक याचिका पर आंध्र प्रदेश पुलिस को निर्देश देने से मना कर दिया था। अदालत आर्य वैश्य संघ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

आर्य वैश्य ब्राह्मण एक्य वेदिका यानी आर्य वैश्य और ब्राहण समुदायों की संयुक्त समिति ने कांचा को चेतावनी दी है कि यदि वह विजयवाड़ा जाकर जनसभा करेंगे तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

संयुक्त समिति ने एक बैठक करने की भी योजना बनाई थी लेकिन पुलिस द्वारा शहर में बैठकों और रैलियों पर प्रतिबंध लगाने की वजह से उन्होंने अपनी योजनाएं ठंडे बस्ते में डाल दी।

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कांचा का आरोप है कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकारें अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने का प्रयास कर रही हैं।

कांचा ने तेलुगू में प्रकाशित अपनी किताब 'समाजिका स्मगल्लेरू कोमाटोलू' में आर्य वैश्य समु को सामाजिक तस्कर कहा है, जिस वजह से उन्हें इन समूहों से विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

आर्य वैश्य समुदायों ने भावनाओं को आहत करने के लिए उनकी किताब पर प्रतिबंध लगाने और उनकी गिरफ्तारी की मांग की है।

सर्वोच्च अदालत ने 15 अक्टूबर को कांचा की किताब पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था।

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Source : IANS

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