देशव्पायी दलित आंदोलन में हिंसा पर हरकत में आया गृह मंत्रालय, राज्यों को जारी किए दिशा-निर्देश, स्टैंड बाय पर सेंट्रल फोर्स
एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशव्यापी दलित आंदोलन में हुई हिंसा और लोगों की मौत को लेकर गृह मंत्रालय सतर्क हो गया है।
highlights
- देशव्यापी दलित आंदोलन में हुई हिंसा और लोगों की मौत को लेकर गृह मंत्रालय सतर्क
- हिंसा के बढ़ते दायरे को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं
नई दिल्ली:
एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशव्यापी दलित आंदोलन में हुई हिंसा और लोगों की मौत को लेकर गृह मंत्रालय सतर्क हो गया है।
हिंसा के बढ़ते दायरे को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से कानून-व्यवस्ता को सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाने का निर्देश दिया है।
कई राज्यों में जहां केंद्रीय बलों को भेजा जा चुका है, वहीं अन्य राज्यों में इन्हें भेजने के लिए तैयार रखा गया है। मंत्रालय ने कहा कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब ने केंद्रीय बलों की मांग की है और उन्हें सीआरपीएफ और आरएएफ की टुकड़ी भेज दी गई है।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें कानून का समुचित संरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है।'
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'लोगों की सुरक्षा और संपत्तियों को सुरक्षित किए जाने को लेकर राज्यों को सभी जरूरी कदम उठाए जाने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही राज्यों में कानून-व्यवस्था की स्थिति को दुरुस्त किए जाने का निर्देश दिया गया है।'
मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'गृह मंत्रालय पूरे मामले पर करीब से निगाह जमाए हुए है और लगातार राज्यों के संपर्क में है। इसके साथ ही उनकी मदद के लिए केंद्रीय बलों को उपलब्ध कराया गया है।'
गौरतलब है कि दलितों के देशव्यापी आंदोलन में पूरे देश से हिंसा की खबरें आ रही है। मध्य प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर जहां 4 लोग मारे गए हैं वहीं राजस्थान के अलवर में भी पुलिस की गोली से एक प्रदर्शनकारी मारा गया है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और बिहार में झड़प की खबर है। हालांकि इन राज्यों में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
गौरतलब है कि एससी/एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने देशव्यापी बंद बुलाया है। हालांकि सरकार ने अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी ऐक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में ऑटोमेटिक गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे ऐक्शन लेना चाहिए।
यही नहीं शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती। गैर-सरकारी कर्मी की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की मंजूरी जरूरी होगी।
और पढ़ें: दलित आंदोलन को मायावती का समर्थन, कहा-साजिशन कराई गई हिंसा
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