दलाई लामा ने कहा, चीन के साथ मिलना चाहता है तिब्बत, बशर्ते वह करे हमारी संसकृति की रक्षा

इससे पहले दलाई लामा ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू अगर आत्मकेंद्रित नहीं होते तो आज भारत और पाकिस्तान एक देश होता है।

इससे पहले दलाई लामा ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू अगर आत्मकेंद्रित नहीं होते तो आज भारत और पाकिस्तान एक देश होता है।

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abhiranjan kumar
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दलाई लामा ने कहा, चीन के साथ मिलना चाहता है तिब्बत, बशर्ते वह करे हमारी संसकृति की रक्षा

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (फाइल फोटो)

इन दिनों अपने बयानों के कारण चर्चा में आए तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। चीन में तिब्बत के मिलन को लेकर कहा हैकि अगर तिब्बतियों की संस्कृति को सुरक्षित रखने की पूरी गारंटी दी जाती है तो तिब्बत चीन का हिस्सा बनने के लिए तैयार है। इस बात का जिक्र उन्होंने 'थैंक यू कर्नाटक' इवेंट को संबोधित करने के दौरान कहा।

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उन्होंने कहा कि, 'तिब्बत का मुद्दा कभी खत्म नहीं हो सकता है। यह हमेशा रहेगा। हम स्वतंत्रता की तलाश नहीं कर रहे हैं। हम चीन के जनवादी गणराज्य के साथ रहने के तैयार हैं बशर्तें हमें अपनी संस्कृति और भाषा को सुरक्षित रखने का पूर्ण अधिकार दिया जाए।'

बता दें कि इससे पहले दलाई लामा ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू अगर आत्मकेंद्रित नहीं होते तो आज भारत और पाकिस्तान एक देश होता है। उन्होंने कहा कि नेहरू अनुभवी थे, लेकिन फिर भी भूल तो हो ही जाती है।

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दलाई लामा ने पणजी से करीब 30 किलोमीटर दूर उत्तर गोवा के सांकेलिम गांव में गोवा प्रबंधन संस्थान में आयोजित एक परिचर्चा के दौरान एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए कहा था। बाद में इस मसले पर राजनीतिक विवाद तेज हो गया जिसके बाद उन्होंने माफी मांग ली थी।

बता दें कि साल 1950 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया था तो उस वक्त हजारों तिब्बतियों ने भागकर भारत में शरण लिया था। उसी दौरान दलाई लामा भी तिब्बत को छोड़कर भारत के लिए प्रस्थान कर गए थे।

Source : News Nation Bureau

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