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दुनिया भर में मची है ईस्टर संडे की धूम, मुंबई और केरल में हो रही ईस्टर पूजा

ईसाई धर्म की मान्यता है कि ईसा मसीह को क्रास पर लटकाने के बाद वह फिर से जीवित हो उठे थे. तब से ईसाई धर्म के लोग ईस्टर पर्व सेलिब्रेट करते आ रहे हैं.

Updated on: 21 Apr 2019, 08:01 AM

नई दिल्ली:

ईसाई समुदाय के लोग आज ईस्टर का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मना रहे हैं. गुड फ्राइडे के बाद आने वाला संडे ईस्टर संडे होता है. ईसाइयों के लिए ईस्टर त्योहार बहुत महत्व रखता है ईसाई धर्म के लोग इसे बहुत धूम-धाम से मनाते हैं. इस साल 21 अप्रैल को ईस्टर मनाया जाता है. ईसाई धर्म की मान्यता है कि ईसा मसीह को क्रास पर लटकाने के बाद वह फिर से जीवित हो उठे थे. तब से ईसाई धर्म के लोग ईस्टर पर्व सेलिब्रेट करते आ रहे हैं. बताया जाता है कि दोबारा जीवित होने के बाद ईसा मसीह अपने भक्तों के साथ लगभग 40 दिनों तक रहे थे. ईसाई इस धर्म को क्रिसमस की तरह ही मनाते हैं. ईस्टर संडे गुड फ्राइडे के बाद आने वाले संडे को ही मनाते हैं. ईसाई इस दिन घरों और चर्च को मोमबत्ती जलाकर भगवान से सबके कुशल मंगल रहने की कामना करते हैं, साथ ही इस दिन प्रभु भोज का भी आयोजन किया जाता है.

मुंबई के माहिम में सेंट माइकल चर्च में विशेष ईस्टर संडे की प्रार्थनाएं आयोजित की जा रही हैं.

केरल की राजधान तिरूवनंतपुरम में सेंट मैरी कैथेड्रल में ईस्टर रविवार को प्रार्थना की जा रही है. 

इसलिए मनाया जाता है ईस्टर संडे
ईसाई धर्म की कुछ मान्यताओं के मुताबिक ईस्टर शब्द की उत्पत्ति ईस्त्र शब्द से हुई है.  ईसाई धर्म के विशेषज्ञों के मुताबिक पुराने समय में किश्चियन चर्च ईस्टर रविवार को ही पवित्र दिन के रूप में मानते थे, किंतु चौथी सदी से गुड फ्राइडे सहित ईस्टर के पूर्व आने वाले प्रत्येक दिन को पवित्र घोषित कर दिया गया. ईस्टर रविवार के पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण तथा अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती है. आज के दिन ईसाई समुदाय के लोग असंख्य मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में अपने विश्वास प्रकट करते हैं. यही कारण है कि ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाना तथा मित्रों में इन्हें बांटना एक प्रचलित परंपरा है. इस पवित्र रविवार को खजूर इतवार भी कहा जाता है. ईस्टर का पर्व भगवान ईसा मसीह के नव जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।