Women: कार्य स्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न में महाराष्ट्र टॉप पर

'महिलाओं के लिए सुरक्षित' (Safe For Women) राज्य की सामान्य धारणा से इतर कार्य स्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में महाराष्ट्र शीर्ष स्थान पर है. शी-बॉक्स में रजिस्टर हुए मामलों के आधार पर यह बात सामने आई है.

'महिलाओं के लिए सुरक्षित' (Safe For Women) राज्य की सामान्य धारणा से इतर कार्य स्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में महाराष्ट्र शीर्ष स्थान पर है. शी-बॉक्स में रजिस्टर हुए मामलों के आधार पर यह बात सामने आई है.

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Vineeta Mandal
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Women: कार्य स्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न में महाराष्ट्र टॉप पर

Crime Against women( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

'महिलाओं के लिए सुरक्षित' (Safe For Women) राज्य की सामान्य धारणा से इतर कार्य स्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में महाराष्ट्र शीर्ष स्थान पर है. शी-बॉक्स में रजिस्टर हुए मामलों के आधार पर यह बात सामने आई है. इस पोर्टल पर दायर शिकायतों का डाटा केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सोमवार को जारी किया. सेक्सुअल हरास्मेंट इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स या शी-बॉक्स मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा बनाई गई एक ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन प्रणाली है. इसके माध्यम से सरकारी और गैर-सरकारी दोनों प्रकार के कार्य स्थलों पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज कराए जा सकते हैं.

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एक बार शी-बॉक्स पोर्टल पर शिकायत दर्ज हो जाने के बाद यह सीधे संबंधित प्राधिकरण तक पहुंच जाती है. इसके बाद अधिकार क्षेत्र के माध्यम से मामले में कार्रवाई की जाती है. डाटा के अनुसार, अभी तक कुल 203 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार और अन्य निजी क्षेत्र के मामले शामिल हैं.

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2017 के बाद से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में शी-बॉक्स के माध्यम से निजी/ सार्वजनिक संस्थाओं में हुए यौन उत्पीड़न की शिकायतों की संख्या का विवरण भी विस्तार से दिया गया है, जिसमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. अकेले इस राज्य से 82 मामले दर्ज हैं.

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वहीं उत्तर प्रदेश इस सूची में 65 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है. दिल्ली में ऐसे 50 और तमिलनाडु में 48 मामले दर्ज हुए हैं. मंत्रालय ने कहा कि वह उम्मीद करता है कि यौन उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई में राज्य अपने यहां की महिलाओं को इस प्रकार के प्लेटफॉर्म्स के बारे में जागरूक कराएंगे.

Source : IANS

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